न वक्त का पहिया
थमता है
न रूकते हैं कभी
हाथ हमारे
किया हो जिसने भी
दिन ये
खास मुकर्रर
बता देना उन्हें
हम आज भी
काम पर जाते हैं
दो जून की रोटी
कमाकर लाते हैं
सांझ आंगन में
मिल बैठकर खाते हैं
और
ये 'मजदूर दिवस'
के अवकाश की खुशी
हम कभी नहीं मनाते हैं....
(फिर भी.....मजदूर दिवस की बधाई )
My photography
मजदूर दिवस महज खाना पूर्ति बन कर रह गया यूनियन नेताओं के लिए भाषणबाजी व कुछ के लिए मात्र छुट्टी का दिन. न किसी को उनके हितों की फिक्र है न उनके भविष्य की.
ReplyDeleteसार्थक अभिवयक्ति......
ReplyDeleteसार्थक अभिवयक्ति......
ReplyDelete☆★☆★☆
किया हो जिसने भी
दिन ये
खास मुकर्रर
बता देना उन्हें
हम आज भी
काम पर जाते हैं
दो जून की रोटी
कमाकर लाते हैं
सांझ आंगन में
मिल बैठकर खाते हैं
बहुत प्रभावशाली !
आदरणीया रश्मि जी
सुंदर रचना के लिए साधुवाद
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteमजदूर दिवस जश्न का नहीं गम का अवसर है जब हम याद करते हैं उन 8 महान विभूतियों को जिनहोने 1 मई 1886 को 8 घंटे काम और अपने हक की मांग करते हुए अपनी शहादत दी थी।
ReplyDeleteसादर