Thursday, May 1, 2014

'मजदूर दिवस' का जश्न


न वक्त का पहिया 
थमता है
न रूकते हैं कभी 
हाथ हमारे 
किया हो जिसने भी 
दिन ये 
खास मुकर्रर
बता देना उन्हें
हम आज भी
काम पर जाते हैं
दो जून की रोटी
कमाकर लाते हैं
सांझ आंगन में
मिल बैठकर खाते हैं
और 
ये 'मजदूर दिवस'
के अवकाश की खुशी
हम कभी नहीं मनाते हैं....

(फिर भी.....मजदूर दिवस की बधाई )

My photography 

6 comments:

  1. मजदूर दिवस महज खाना पूर्ति बन कर रह गया यूनियन नेताओं के लिए भाषणबाजी व कुछ के लिए मात्र छुट्टी का दिन. न किसी को उनके हितों की फिक्र है न उनके भविष्य की.

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  2. सार्थक अभिवयक्ति......

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  3. सार्थक अभिवयक्ति......

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  4. ☆★☆★☆



    किया हो जिसने भी
    दिन ये
    खास मुकर्रर
    बता देना उन्हें
    हम आज भी
    काम पर जाते हैं
    दो जून की रोटी
    कमाकर लाते हैं
    सांझ आंगन में
    मिल बैठकर खाते हैं

    बहुत प्रभावशाली !

    आदरणीया रश्मि जी
    सुंदर रचना के लिए साधुवाद

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  5. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति

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  6. मजदूर दिवस जश्न का नहीं गम का अवसर है जब हम याद करते हैं उन 8 महान विभूतियों को जिनहोने 1 मई 1886 को 8 घंटे काम और अपने हक की मांग करते हुए अपनी शहादत दी थी।

    सादर

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