Tuesday, March 18, 2014

'दो मि‍नट' वाला प्‍यार


बस... दो मि‍नट
फटाफट
इंस्‍टेंट फूड की तरह
इन दि‍नों
होता है प्‍यार
देखा....कहा....पूछा
और हो गया
न बीज
न पौधा
न कोंपल खि‍लते हैं
बस....
लहलहाने लगता है प्रेम का पौधा
और जो
मन मुताबि‍क न हो
कुछ तो
फि‍कर कैसी....
कई और ब्रांड है न
चल...
उसे ट्राई कि‍या जाए
गुजरे पर खाक डालो
और नि‍कल जाओ आगे
भाई
इक्‍कसवीं सदी है न
सब कुछ
सब कोई
है जल्‍दी में...
बस....दो मि‍नट
फटाफट...........।

तस्‍वीर...साभार गूगल 

8 comments:

  1. :-) बस फटाफट.......

    बढ़िया है!!सटीक है!!!

    सस्नेह
    अनु

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  2. इंस्टेंट प्यार,इंस्टेंट शादी,व इंस्टेंट तलाक,सब कुछ इंस्टेंट हो गया है इंस्टेंट फ़ूड खा कर। कहावत भी तो है जैसा जो खाये तन , वैसा ही हो जाये मन।
    सुन्दर कृति हेतु धन्यवाद ,रश्मिजी

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  3. फिर जैसे फटाफट वाला खाना पेट खराब करता है , फटाफट वाला प्रेम जिंदगी बिगाड़ता है :)

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  4. achha hi hai naa ! jaldi se bana aur bulbula sa fut bhi gaya ....baat khatm ...:)))

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  5. समय के साथ बदलता प्यार...बहुत सटीक रचना...

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  6. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20-03-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
    आभार

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  7. unlimited-potential
    दो मिनट का प्यार ,
    बड़ा आम सा हो गया हैं ,
    बड़ा चीप सा हो गया |
    डॉ अजय

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  8. बदलता प्यार...बहुत सटीक रचना...

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