Friday, March 21, 2014

मेरा नाम.....


उस रोज
जब पहली बार लि‍खा था
तुमने
अपनी हथेलि‍यों पर
मेरा नाम,
और देखकर मेरी ओर
हौले से चूमा था उसे
तो महसूस हुआ था
कि‍ ऐसा होता है
जीवन का प्रथम चुंबन...

तुम्‍हारी हथेलि‍यों पर
था लि‍खा मेरा नाम
और पसीज रही थीं
मेरी बंद मुट्ठि‍यां
जैसे तुमने
मेरे नाम के बहाने
इन्‍हें ही जकड़ रखा हो
अपनी बंद मुट्ठि‍यों में

पहरों बाद जब तुम
जाने लगे थे
दूर से हि‍लाया हाथ
देखा मैंने
अब भी चमक रहा था
तुम्‍हारी कि‍स्‍मत की
रेखा से सटा, मेरा नाम

क्‍या अब भी
तवील रातों को
हथेलि‍यों पर
लि‍खते हो मेरा नाम
और.... चूमकर !
बंद कर देते हो अपनी मुट्ठि‍यां
सच कहना अब भी
अपनी भाग्‍य-रेखा से
सटा रखते हो मेरा नाम ?


5 comments:

  1. मजा आगया.. पढकर ऐसा लगा जैसे आपने सम्पूर्ण प्यार को इन शब्दों में छोर दिया है..

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  2. कुछ पल ,कुछ यादें मन को सदा मसोसते रहते हैं.सुन्दर कृति ,

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