Monday, February 10, 2014

तल्‍ख है धूप मेरी खाति‍र.....


अब
सुबह की धूप में
नरमी नहीं है बाकी
तपि‍श हो गई है
कुछ ऐसी कि
न छांव भाए
न धूप सुहाए

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मौसम
बदलने को है
वसंत तुम रहना
उनकी खाति‍र
जो करते हैं फूलों से प्‍यार
हम तो
सूखे पत्‍तों को समेटकर
उनका यकीन
बनाए रखना चाहते हैं
जि‍न्‍हें है भरोसा
मौसम पर...मेरी बातों पर
कि आया है वसंत
ये सूखे पत्‍ते तो बस
मेरे हि‍स्‍से के हैं....

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ईश्‍वर ने
भरा है हर दामन
खुशी और गम से
ये जीवन चक्र है
आज खुशी..कल गम
आज वसंत
कल पतझड़

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आज तल्‍ख है धूप
मेरी खाति‍र
उनके आंगन में
होगी कच्‍ची सी धूप
तुम्‍हें तुम्‍हारी
नरम धूप मुबारक
मुझे अपने हि‍स्‍से की धूप से
अब है प्‍यार..........
तस्‍वीर..मेरे कैमरे की

2 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

न छांव भाए
न धूप सुहाए

बेहतरीन प्रस्तुति...!

RECENT POST -: पिता

विभूति" said...

भावो का सुन्दर समायोजन......