Tuesday, December 17, 2013

धूम्ररेखा....


जलते हृदय से उठती है
श्‍वेत धूम्ररेखा
छटपटाता है
सि‍रे से बंधा
मेरा अस्‍ति‍त्‍व
मैं भावना हूं
शब्‍द नहीं
मगर शब्‍दभेदी बाण
आहत कर जाते हैं
मेरा मर्मस्‍थल

तस्‍वीर--साभार गूगल

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