रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Thursday, December 5, 2013
कहां से लाऊं......
कहां समाऊं
कहां छुप जाऊं
न धरती
न गगन
न है वो
धड़कनों का समंदर
इत-उत जाऊं
मगर
क्षण भर को भी
न चैन पाऊं
सांसों को जो पी ले
आंखों में नींद भर दे
ऐसे सावंरिया को
कहां से लाऊं......
1 comment:
वाह बहुत सुन्दर......
क्षण भर को भी
न चैन पाऊं
सांसों को जो पी ले
आंखों में नींद भर दे
ऐसे सावंरिया को
कहां से लाऊं......
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