रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
innocent.. :)
वाह सुंदर
कैसा अहसास होता है जब यह करना होता है ,सुन्दर रचना रश्मिजी,
बहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......
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innocent.. :)
ReplyDeleteवाह सुंदर
ReplyDeleteकैसा अहसास होता है जब यह करना होता है ,सुन्दर रचना रश्मिजी,
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......
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