Tuesday, November 5, 2013

दीप...मेरे नाम का


इस दीपावली 
उसने कहा था
एक दीप
अपने मन में
मेरे नाम का भी 
जला देना


हथेलि‍यों में
धरकर दीप
मन की आंखों से
जो देखा मैंने
अमावस की अंधेरी
रात में गगन
उसका चेहरा मुझे
आकाशदीप सा
नजर आया

तस्‍वीर... :) :)

4 comments:

  1. कैसा अहसास होता है जब यह करना होता है ,सुन्दर रचना रश्मिजी,

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  2. बहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......

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