जिस क्षण
तुमने कहा
मैं बस तुम्हारा हूं
चांद के होंठों पर भी
तिर आई मुस्कान
चमक उठा
मेरे चेहरे की मानिंद
चांद इतना
कि
धुंधली लगने लगी
सारी क़ायनात
मगर
कब चाहा था मैंने
कोई मुझे चाहे इतना
कि सिवा मेरे
भूल जाए दुनिया
कहे मुझसे
एक बार नहीं...बार-बार
कि
मैं बस तुम्हारा हूं
........
शायद
एक बार पूरे चांद के कानों में
चुप से कही थी
ये बात मैंने
कि जैसे
लाख सितारों में तुम अकेले हो
पूरी कायनात में भी
कोई अकेला हो
फक़त मेरे लिए ....
सच कहना...
पूरनमासी के चांद ने की है क्या
तुमसे मेरी सिफारिश......
तुमने कहा
मैं बस तुम्हारा हूं
चांद के होंठों पर भी
तिर आई मुस्कान
चमक उठा
मेरे चेहरे की मानिंद
चांद इतना
कि
धुंधली लगने लगी
सारी क़ायनात
मगर
कब चाहा था मैंने
कोई मुझे चाहे इतना
कि सिवा मेरे
भूल जाए दुनिया
कहे मुझसे
एक बार नहीं...बार-बार
कि
मैं बस तुम्हारा हूं
........
शायद
एक बार पूरे चांद के कानों में
चुप से कही थी
ये बात मैंने
कि जैसे
लाख सितारों में तुम अकेले हो
पूरी कायनात में भी
कोई अकेला हो
फक़त मेरे लिए ....
सच कहना...
पूरनमासी के चांद ने की है क्या
तुमसे मेरी सिफारिश......
4 comments:
सुन्दर प्रस्तुति-
सादर-
सुंदर एहसास लिए प्यारी रचना .....
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
अच्छी रचना
बहुत सुंदर
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