मैं देखती हूं
रोज
तुम्हारी तस्वीर
ऐसा नहीं कि
भूलने लगी हूं
तुम्हारा चेहरा
सब अमिट है
तुम्हारी
बातों की तरह
अहसासों की तरह
पूर्व परिचित
हर भंगिमा के साथ
खूब याद हो तुम
तुम्हारी आवाज की
लरजिश
अब भी सुलगा जाती है
कानों की लौ
तुम्हारी तस्वीर
खींच ले जाती है
हर बार मुझे
एक ऐसी दुनिया में
जहां 'यादों' में नहीं कोई
सब आज है, सच है
और तुम्हें मुझसे
मुझे तुमसे
बेइंतहा प्यार है
बस बात यही एक
परम सत्य है....
तस्वीर..साभार गूगल
3 comments:
सुन्दर प्यार की अभिव्यक्ति
नई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )
prem ki parakashtha...
सच्चे प्यार का इजहार करती सुन्दर कविता.
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