वक्त भी
बंध जाता है
उन वादों के साथ
जो कोई
इस खातिर
पहले लेता है
कि वक्त
हमेशा अपना नहीं होता
और वादे
यकीन के डोर हैं
इसलिए
उस वक्त का अलविदा
आधी रात के चांद का डूबना है
और तुमसे कुछ कहना
ईश्वर के आगे मन खोलना है
अब
वक्त, वादे और ईश्वर से तुम
मैं नतमस्तक
देखो...ध्रुव तारे का भी वक्त हुआ
विदा...अलविदा.....
तस्वीर--साभार गूगल
दीप पर्व आपको सपरिवार शुभ हो!
ReplyDeleteकल 02/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
ReplyDeleteसुंदर...दिवाली की शुभकामनाएं...
धरा मानव से कह रही है...
दोनों ओर प्रेम पलता है...
सुन्दर रचना..
ReplyDeleteदीपावली कि हार्दिक शुभकामनाएँ
:-)
सुन्दर प्रस्तुति………
ReplyDeleteकाश
जला पाती एक दीप ऐसा
जो सबका विवेक हो जाता रौशन
और
सार्थकता पा जाता दीपोत्सव
दीपपर्व सभी के लिये मंगलमय हो ……
बहुत सुंदर प्रस्तुति ,,,
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ ।।
==================================
RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना