Wednesday, October 30, 2013

मुझसे रूठ जाएगा...


आवाज का इक कतरा
जो इन कानों को छू कर गुजर जाएगा
कम-अज-कम
आज की एक जिंदा रात तो
मुकद्दर से मेरे जुड़ जाएगी
जो भी है
तुम्‍हारा ही दि‍या है 
मर रहा है वो धीरे-धीरे
क्‍या आवाज का कतरा भी 
अब मुझसे रूठ गया जाएगा...


1 comment:

रविकर said...

सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरेया-