Monday, October 21, 2013

हमारा नाम....


एहसास को मि‍ले
शब्‍द
नज्‍म होठों तक 
आ गए
एक नया पैरहन 
पहन
लयबद़ध सांसों ने
कहा
चुपके से
आ गया दि‍ल को
अब आराम
एक बार ही सही
पन्‍नों में
लि‍खा तो गया
संग-संग
हमारा नाम....


बादलों के बीच छुपता चांद और मेरे कैमरे की नजर...

8 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना मुझे बहुत अच्छी लगी .........
बुधवार 23/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
में आपकी प्रतीक्षा करूँगी.... आइएगा न....
धन्यवाद!

अरुन अनन्त said...

नमस्कार आपकी यह रचना आज मंगलवार (22-10-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

Dr.NISHA MAHARANA said...

sundar hai dono hi ....

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

उम्दा ।
पूनो की रात
छुप गया मयंक
गोपी उदास

:)

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

उम्दा भाव ।
पूनो की रात
छुप मेघो में चाँद
गोपी उदास

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति ,,,!

RECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

विभूति" said...

बेहतरीन अभिवयक्ति.....