Thursday, October 10, 2013

पुण्‍यति‍थि‍ पर श्रद़धांजलि.......



जो जागी रातें हमसे काटी नहीं जाती
ऐसी रातों को कि‍या करते हैं तेरे हवाले

तुझे क्‍या पता कि कि‍तना तन्‍हा कर गया
यूं सरे-राह हमें छोड़कर दुनि‍या से जाने वाले

6 comments:

  1. जगजीत सिंह जी को हार्दिक श्रधांजली ..
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 12/10/2013 को त्यौहार और खुशियों पर सभी का हक़ है.. ( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 023)
    - पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

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  2. तुम अमर हो गये.......

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    गजलों रूह से
    परिचय तो आपने कराया
    सुरों की बरसात में भीगना
    आपने सिखाया
    लफ्जों का मीठापन
    आवाज की गहराई से
    वास्ता आपके कारण ही पड़ा
    और तुम ये कैसे जुदा हो गए
    हर तरफ थे हर जगह हो गए.....
    ...................................
    तुम कल थे आज कहाँ खो गये
    अकेला छोड़ तुम फ़ना हो गये
    तन्हा तन्हा दू:ख झेलेगे सदा,
    जीत, से तुम जगजीत हो गये

    अचानक तुम ये कैसे जुदा हो गए
    तुम हर तरफ थे हर जगह हो गए
    जिक्र,जब भी होगा गजलों का-,
    होठों से,गा कर तुम अमर हो गए,,,,

    १० /१० /२०११ /गजल सम्राट-गजल गायक -श्री जगजीत सिंह जी निधन पर
    श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ,ईश्वर उनकी आत्मा को शांती प्रदान करे,

    नवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!
    RECENT POST : अपनी राम कहानी में.


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  3. आज की विशेष बुलेटिन जेपी और ब्लॉग बुलेटिन में आपकी इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है। सादर .... आभार।।

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  4. बहुत सुन्दर भाव रश्मि जी... जगजीत सिह की कमी अपूर्णीय है।

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  5. शास्त्रीय धुनों पर गज़ल और भजन प्रस्तुत करने वालों में जगजीत सिंह का कोई जबाब नहीं.
    मेरी पसंदीदा भजन 'माँ'.
    उनको विनम्र श्रद्धांजलि.

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