मेरी इबादत.....
करना है
खुद को अब
तुममें समाहित
कि
प्यार में तुम जीते
और मैं हारी
हर लिया तुमने
मेरा
सारा अहंकार
भर दिया मुझमे
प्रेम का असीम मार्धुय
मैं बन रही हूं वैसी
जैसा चाहते हो
तुम मुझे देखना
क्योंकि
ये इश्क की है चाहत
और अब
मेरी इबादत.....
तस्वीर..साभार गूगल
प्यार भरी सुंदर रचना |
ReplyDeleteमेरी नई रचना :- मेरी चाहत
इसी को प्यार कहते हैं... बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteभावो का सुन्दर समायोजन......
ReplyDeleteनमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-10-2013) के चर्चामंच - 1397 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteआपने लिखा....हमने पढ़ा....
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें; ...इसलिए आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {रविवार} 13/10/2013 को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल – अंकः 024 पर लिंक की गयी है। कृपया आप भी पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें। सादर ....ललित चाहार
हर लिया तुमने
ReplyDeleteमेरा
सारा अहंकार
भर दिया मुझमे
प्रेम का असीम माधुर्य
बहुत सुन्दर भाव
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteऔर हमारी तरफ से दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें
How to remove auto "Read more" option from new blog template
bahut sundar rachna
ReplyDeleteप्यार में कैसी हार कैसी जीत ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.......
ReplyDeletesundar rachana ..
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteये इश्क की है चाहत
ReplyDeleteऔर अब
मेरी इबादत.
बहुत सुन्दर !
अभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!
चखो पूरा चखो समर्पण का सुख अहंकार (अज्ञान )फोड़ता और तोड़ता ही है दूसरे को नहीं अन्दर से अपने ही" स्व" को।होने को बीइंग को। आत्मन को।
ReplyDeleteकरना है
खुद को अब
तुममें समाहित
कि
प्यार में तुम जीते
और मैं हारी
हर लिया तुमने
मेरा
सारा अहंकार
भर दिया मुझमे
प्रेम का असीम मार्धुय
मैं बन रही हूं वैसी
जैसा चाहते हो
तुम मुझे देखना
क्योंकि
ये इश्क की है चाहत
और अब
मेरी इबादत.....