Friday, August 9, 2013

चांदनी के पेड़ तले.....


जाने कब होगी 
चांदनी रात और 
कब होगी 
प्रीत की बरसात 
दि‍वस बीते 
सूखी पड़ी है मन की जमीन 
बरसता नहीं कुछ
न प्रेम न आंसू
बंजर हो चला है मन
उगते थे जहां
प्रेम के नवीन कोंपल
आओ न बरस जाओ
चांदनी बन के
चांदनी के फूल से
आओ कि गवाही दे रहे
ये शज़र
मेरे तुम्हारे
अंतरगुम्फित मन की
यहीं कहीं किसी
चांदनी के पेड़ तले
मैंने सुनी थी
तुम्हारे सीने पर
अपने नाम की धड़कन 

तस्‍वीर--साभार गूगल

8 comments:

  1. मैंने सुनी थी
    तुम्हारे सीने पर
    अपने नाम की धड़कन ---
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
    latest post नेताजी सुनिए !!!
    latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!

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  2. आपकी यह रचना आज शनिवार (10-08-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  3. यहीं कहीं किसी
    चांदनी के पेड़ तले
    मैंने सुनी थी
    तुम्हारे सीने पर
    अपने नाम की धड़कन

    मर्म को छूती सुंदर कविता के लिए बधाई रश्मि जी !

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  5. आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 6 अगस्त से 10 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।

    कृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा

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  6. मन में उतरती पंक्तियाँ !

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