तेरी तलब.....
एक तेरी तलब
और होगी
मेरी उम्र तमाम
सुलग रही है
पल - पल
तेरी चाहत में
हर धड़कन
सरकने दे
जरा वक्त को
वो आजमाता
ही आया है
हमें हरदम
बंद हो आंख
और हों हसरतें तमाम
एक चाल
मुझे भी चलने दे
तुझसे तो कुछ
कह न पाई
जरा किस्मत से तो
मुझे लड़ने दे.....
तस्वीर--साभार गूगल
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