Friday, August 23, 2013

मेरे पास कोई स्‍याहीसोख नहीं...


ले आई थी
एक कोरी सी डायरी
जि‍समें
मोति‍यों से अक्षरों में 
लि‍खना चाहा मैंने
खूबसूरत नर्म सी सुबह
और बारि‍श के बाद
क्षिति‍ज में फैले धुंध को
मुट़ठि‍यों में समेट लेने के
अहसास से भरे
हसीन हसरतों के कि‍स्‍से

तुम्‍हारे साथ और
तुम्‍हारे बगैर गुजरे, वक्‍त के चि‍थड़े
मगर
नामालूम कैसे
खूबसूरत हर्फों के उपर
उलट पड़ी स्‍याही, मि‍ट गया सब
अब फैले हैं
नीले-नीले धब्‍बे, और
मेरे पास कोई स्‍याहीसोख भी नहीं.......


तस्‍वीर--साभार गूगल 

8 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल में शामिल किया गया है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {रविवार} (25-08-2013) को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar

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  3. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शनिवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  4. बहुत सुन्दर भावप्रवण रचना...
    :-)

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  5. कभी कभी अनचाहे ही कुछ विपरीत परिस्थितियाँ बन जाती है
    और दिमाग बस जड़ बना देखता रहता है सब कुछ

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  6. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...

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