Sunday, July 7, 2013

देखती रही....जाते हुए.....


रोता रहा वो
बि‍लख-बि‍लख कर
कहता रहा...
मुझे रहने दो
अपने पास
दूर नहीं जाना 
मान जाओ आज भर
मेरी बात
वो सब करूंगा मैं
जो आपको पसंद है..
मगर मेरा कठोर हृदय
नहीं पसीजा
रोता रहा वो
देखता रहा पलट-पलट कर
नम आंखों से
और मैं
देखती रही....जाते हुए.....



(बेटे अभि‍रुप को कल जबरदस्‍ती स्‍कूल भेजने के बाद अपराधबोध में डूबी मैं.)

11 comments:

Harihar (विकेश कुमार बडोला) said...

बेटा प्‍यारा है। उसका नाम 'अभिरुप' बहुत संस्‍कृ‍तनिष्‍ठ, सुन्‍दर है। और आपका अनुभव जो आपने कविता बना कर प्रस्‍तुत किया बहुत मारक है। एक तरफ बच्‍चों को सहीमार्ग पर लाने के लिए उन्‍हें डांटने-डपटने,पीटने पर अपराध-बोध से ग्रसित होना और दूसरी तरफ उनके भोले मुख से आंसुओं को टपकते देख कर उस पर पसीजना। वाकई ऐसे में तो मैं अपने आप को एक प्रकार से बेकार ही महसूस करता हूँ। आप तो तब भी संभल कर इस पर कविता कर गए।

विभूति" said...

bhavi ko apne shabd de diye...

Shikha Kaushik said...

कल को जब वो काबिल बन जायेगा तब आपको स्वयं पर गर्व होगा की आपने सही समय पर अभिरूप को स्कूल भेज था .

Dr. Shorya said...

बहुत मुश्किल है बच्चो की आँखों में आसू देखना , दिल के भावो को शब्दों की शक्ल में बहुत सुंदरता से पिरोया है, मंगलकामनाये

यहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html

Shalini kaushik said...

aur kal ko dekhiyega jab aap use rokengi jane se aur vo bhag kar school bus me chadh jayega . .बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति . आभार क्या ये जनता भोली कही जाएगी ? #
आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -5.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN हर दौर पर उम्र में कैसर हैं मर्द सारे ,

Madhuresh said...

ये बोझ तो उठाना ही पड़ता है .. तारे ज़मीन पर का वाक्य याद आ गया।

वाणी गीत said...

बच्चों की बेहतरी के लिए कई बार उन्हें दूर भी भेजना पड़ता है !

ashokkhachar56@gmail.com said...

दिल के भावो को शब्दों की शक्ल में बहुत सुंदरता से पिरोया है, मंगलकामनाये

ताऊ रामपुरिया said...

पालकों को और खासकर इस स्थिति में बच्चे के भविष्य को लेकर सीने पर पत्थर रखना ही पडता है.

कई पालक इस स्थिति वातसल्य वश में पिघल जाते हैं जिनका बच्चों पर बुरा असर पडता है, आपने मन कडा करके अच्छा काम किया.

रामराम.

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

मन को छू गई
बहुत सुंदर

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत बढ़िया