Wednesday, July 31, 2013

मैं क्या करूं, कहां जाऊँ.......


एक छोटी चिड़िया थी
पानी बरस रहा था
चिड़िया बोली....
मैं क्या करूं, कहां जाऊँ
................
तन्हाई का डर
सब खो जाने का डर
बिछड़ जाने का डर...

बरस रहा है कल से लगातार पानी
टीन की छत...बरसात और तेरी याद
सब मिलकर जब बजते हैं......
ओसारे से है गिरता पानी
विरहा की अग्नि धधक उठती है सावन में
भीगा मन चिड़िया सा गा रहा है....
मैं क्या करूं, कहां जाऊँ 


तस्‍वीर सुबह की जब आसमान के पानी ने सबको पानी-पानी कर दि‍या था...

4 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

बरसात में पक्षी भी बहुत परेशान होते होंगे, बहुत सुंदर भाव.

रामराम.

Dr. Shorya said...

पक्षी के दिल के भावो का बहुत सुंदर चित्रण

विभूति" said...

मार्मिक भावाभिवय्क्ति.....

सहज साहित्य said...

छोटी चिड़िया के व्याज से गहन संवेदना की अभिव्यक्ति । रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
rdkamboj@gmail.com