Monday, July 1, 2013

सितारा हसीन लगता है.....



चाँद के पहलू में वो सितारा हसीन लगता है !!
हमें तो कुछ आप जैसा वो ज़हीन लगता है !!

चाँद की तबियत भी कुछ रंगीन सी है !
बादलों संग कितना नमकीन लगता है !!

हाथ थाम के चांद जब चलता है चांदनी का !
दि‍लजलों को ये मसला बेहद संगीन लगता है!!

सपनों के नीले आस्‍मां पर जब रोशन चांद हुआ !
तेरे हि‍ज्र की ताब से माहौल गमगीन लगता है !!

तसव्‍वुर में जब भी देखती हूं वो चांद चेहरा 'रश्‍मि’!
गुजरे वक्‍त का हर जख्‍म ताजा-तरीन लगता है !!


तस्‍वीर--साभार गूगल 

12 comments:

अज़ीज़ जौनपुरी said...

kya bat hai ,gazab hai andaz

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर
क्या बात

Udan Tashtari said...

जबरदस्त!!

Unknown said...

:-)

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

वाह!!!बहुत सुंदर सृजन,उम्दा गजल ,,,

RECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.

dr.mahendrag said...

चाँद की तबियत भी कुछ रंगीन सी है !
बादलों संग कितना नमकीन लगता है !!

हाथ थाम के चांद जब चलता है चांदनी का !
दि‍लजलों को ये मसला बेहद संगीन लगता है!!
बहुत खूब क्या कुछ कह दिया आपने बहुत ही सुन्दर

dr.mahendrag said...

चाँद की तबियत भी कुछ रंगीन सी है !
बादलों संग कितना नमकीन लगता है !!

हाथ थाम के चांद जब चलता है चांदनी का !
दि‍लजलों को ये मसला बेहद संगीन लगता है!!
बहुत खूब क्या कुछ कह दिया आपने बहुत ही सुन्दर

Vandana Ramasingh said...


चाँद की तबियत भी कुछ रंगीन सी है !
बादलों संग कितना नमकीन लगता है !!

वाह गज़ब !!!

Ranjana verma said...

बहुत खुबसूरत रचना ...

Tanuj arora said...

बहुत खूब...

दिगम्बर नासवा said...

तसव्‍वुर में जब भी देखती हूं वो चांद चेहरा 'रश्‍मि’!
गुजरे वक्‍त का हर जख्‍म ताजा-तरीन लगता है ..

बहुत खूब ... लाजवाब शेर है इस गज़ल का ... गुज़रा समय ताज़ा ही रहता है ...

Madan Mohan Saxena said...

तसव्‍वुर में जब भी देखती हूं वो चांद चेहरा 'रश्‍मि’!
गुजरे वक्‍त का हर जख्‍म ताजा-तरीन लगता है ..
खुबसूरत रचना ,बहुत सुन्दर भाव भरे है रचना में,आभार !