Monday, June 3, 2013
एक अंतिम दीया मेरे नाम का....
उदासी की अंतिम किस्त
* * * *
रात फिर आंखों ने कर दिया इंकार.....अब नहीं गवारा उन्हें नींद में होना.....उन्हें तुम्हारे सपने नहीं देखने अब....मोहब्बत हो गई है अब आंसुओं से.....यादों से....अब तो नियति भी यही है शायद..
सन्नाटे भरी रात में जाने ये घड़ी की टिकटिक है या धड़कनों का शोर....कुछ है जो इस चुप्पी में भी बोल रहा है।
उदासियों का सफर जारी है.....यादें दलदल सी होती हैं...एक बार पांव फंसा तो बाहर निकलना नामुमकिन......बस धंसते चले जाओ...जब तक दम न निकल जाए..
जाने कहां चले गए तुम...बेखबर....
मगर अब शांत है मन....कोई उद़िग्नता नहीं.....जैसे ज्वार उठने के बाद समुंदर शांत हो जाता है....नीले सागर का विस्तार देख यह तय कर पाना मुश्किल होता है कि यहीं उठी थी उद़दात लहरें.....सब बहा ले जाते को आतुर....
ठीक वैसा है है अब मन मेरा....आस का बंधन टूटा नहीं है.....तुम्होरे बोए सपने ही तुम्हें एक रोज वापस लाएंगे...
मैं करूंगी इंतजार.....उस सुबह का....जब तुम आओगे लौटकर...मैं अपने अलिंद में रोज एक दिया जलाउंगी हर शाम......आस का दिया....प्यार का दिया....विश्वास का दिया....
अनाघ्रात पुष्प सा है मेरा प्यार.....मैं बचाकर रखूंगी इसे.....उस वक्त तक के लिए....जब शीशी बंद खुश्बूओं से तुम्हारा मन न भर जाए.....मेरी याद में मेरी तरह ही पागल न हो जाओ....और लौट आओ.....
कभी तो सूरज मेरी खुशी की खातिर...मेरे लिए ही निकलेगा....
गर न भी आए तो यकीन है उस दिन तो जरूर आओगे....जिस दिन मेरे उस आलिंद में....जहां इंतजार का दीपक जलाती थी मैं रोज.....तुम्हारे नाम का......ठीक उसी जगह एक अंतिम दीया जलेगा...... मेरे नाम का
और गंगा के तीर पर मुटठी-मुट़ठी भर राख बिखेरने के लिए.....तुम्हें आवाज देगा कोई...
जानां.....कहो न......उस दिन तो आओगे...
तस्वीर...सड़क किनारे एक ढलती शाम और मेरी उदास नजरें....
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4 comments:
बहुत सुंदर
बढिया, बहुत सुंदर
ओह...ख़त्म हुई उदासी....
अब प्रेम की पहली किश्त का इंतज़ार है....या प्रेम एक मुश्त लिया जायगा :-)
अनु
सुन्दर प्रस्तुति
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