Saturday, June 22, 2013

हे शि‍व.....


हे शि‍व
क्‍यों न रोका एक बार 
फि‍र तुमने
अपनी जटाओं में
हाहाकार मचाती गंगा को.....


लाशों से पटा पड़ा है
तेरा आंगन
हां....हुई भूल मानवों से
स्‍वार्थी इंसान
न समझ पाया
कि झेलना होगा
प्रकृति का रौद्र रूप
शि‍व तांडव के समान

हे शि‍व
चेत जाए इंसान
इतनी बुदधि देना
अब और कहर न ढाना
जो बेबस से पड़े हैं
तेरे दर में
उनकी जान बचाना....


तस्‍वीर--आभासी दुनि‍या के एक मि‍त्र के आंगन से...

12 comments:

Shalini kaushik said...

बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति आभार गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

Arun sathi said...

सही।।। हमें सद्बुद्धि दे शिव ।।।।

रचना दीक्षित said...

शिव के तांडव की पुनः आवृत्ति ना हो यही प्रार्थना.

सुंदर प्रस्तुति.

Onkar said...

सुन्दर मनुहार शिव से

dr.mahendrag said...

आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.शिव ने वहां उपासना की,यह बिलकुल शांत स्थल रहे,वह यह चाहते हैं,लोगों ने उस स्थान को पर्यटन स्थल बना दिया.50 साल पहले 1971 में वहां गया था,तब वहां जा कर एक शांति व आनंद प्राप्त हुआ, अब वहां के होटलों व धरम शालाओं के बारे में जानकारी मिली तो अंदाज हो गया कि उस धार्मिक स्थल कि कितनी दुर्दशा हो गयी थी.शिव व प्रकर्ति ने तो हमें चेत दिया, पर क्या हुमस पर विचार करेंगे?ऐसा नहीं लगता उल्टा और शनदार मंदिर,होटल धरम शालाये रेस्तरां बना पहाड़ के प्रयावरण को नुकसान पहुंचाएंगे,भगवन शिव की तो शांति भंग करेंगे ही,क्यों फिर शिव अपना रोद्र रूप दिखाएँ,?उनका भी क्या कसूर?

Anonymous said...

sundar rachna

कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत सुन्दर प्रार्थना प्रस्तुति !

सुशील कुमार जोशी said...

शिव को ताँडव
करने के लिये
फिर मजबूर
मत करना
ऎ इंसान
अब भी
समय है
कुछ तो
समझ ना !

अरुणा said...

हर-हर महा देव

Darshan jangra said...

सुंदर प्रस्तुति.

Asha Joglekar said...

नर को ही करनी करना पडेगी तभी तांडव नही होगा ।

Anonymous said...

सुंदर प्रस्तुति.