Tuesday, June 18, 2013

चांदनी का चंदोवा.....


गंदुमी आकाश में
वि‍चर रहा था एक
काले बादल का टुकड़ा
मैं चाहत की डोर से
खींचकर ले आई उसे
और टांग दि‍या
सि‍राहने

तानकर
चांदनी का चंदोवा
रहने दि‍या
एक झीना सा पर्दा
अपने दरमि‍यां

मगर देर रात
पि‍घलने लगा बादल
बरस पड़ीं बूंदे
मैं भीगने लगी
भीगती गई
एक सुनहरी चि‍ड़ि‍यां की तरह
फुदकती रही
बचती रही, भीगती रही
सूखती रही

और अब
उस काले बादल ने
कर लि‍या है आंखों में बसेरा
मैं रोज रात
चांदनी के चंदोवे तले
करती हूं बंद आंखें
और वो बादल
बरसता रहता है रात भर......

तस्‍वीर--साभार गूगल

12 comments:

डॉ एल के शर्मा said...

सुनो गुंजा
एक अनसुनी-अनकही गूंज
मेरी प्यास तुम्हारे छोटे से
झारे से नहीं बुझ सकती
मुझे तो

मूसलाधार बारिश की आस है

जिसके बिना
मेरी रूह तृप्त नहीं हो सकती
सुनो गुंजा
एक अनसुनी सी गूंज (डॉ.लक्ष्मी कान्त शर्मा )

संजय भास्‍कर said...

हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....

Kailash Sharma said...

अंतस को छूती बहुत भावपूर्ण रचना...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत उम्दा हमेशा की तरह सुंदर रचना,,,

RECENT POST : तड़प,

Guzarish said...

नमस्कार
आपकी यह रचना कल बुधवार (19-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधार कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य रखें |
सादर
सरिता भाटिया

shalini rastogi said...

रश्मि जी, आपकी रचनाएँ एक मखमली स अहसास लिए होती हैं जो हृदय को बड़ी कोमलता से सहला जाती हैं..

Dr.NISHA MAHARANA said...

बादल का बरसना हरियाली का संकेत है ......दिल को छूती रचना ....

shashi purwar said...

बेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (19 -06-2013) के तड़प जिंदगी की .....! चर्चा मंच अंक-1280 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार

ब्लॉग बुलेटिन said...

आज की ब्लॉग बुलेटिन आसमानी कहर... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Tanuj arora said...

एहसास का शब्दों के रूप में सुन्दर चित्रण ..
बहुत अच्छा लगा..

दिगम्बर नासवा said...

इन काले बादलों के साथ प्रेम भी चला आता है चुपके से ... जो बारिश बन के दिखारने को मजबूर करता रहता है ...
लाजवाब रचना है ...

प्रतिभा सक्सेना said...

मन की संवेदनाएं जगा देते हैं बादल !