तेरे अहसास लिपटे रहे सुबह तक
फैलती रही दरीचों में
रातरानी की महक
मेहरबानी शब की
वस्ल के गुलाब जवां हुए
टिमटिमाती रही लौ मोमबत्ती की
सितारों पर सुकून की नींद तारी थी
सुबह की पहली किरण ने चूमा
खुशरंग चेहरे और बालों को
कुरते के बटन में उलझी लट
नाम दुहराती रही
एक रात ऐसी लिपटी रही
सुबह तक
कि रश्मियों की सरगोशी को भी
बैठकर दरवाजे तले
करना पड़ा देर तलक इंतजार......
तस्वीर--साभार गूगल
13 comments:
तेरे अहसास लिपटे रहे सुबह तक
फैलती रही दरीचों में
रातरानी की महक,,,
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,,
recent post : मैनें अपने कल को देखा,
बढ़िया प्रस्तुति!
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
नमस्कार
आपकी यह रचना कल बुधवार (12-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
....कि रश्मियों की सरगोशी को भी
बैठकर दरवाजे तले
करना पड़ा देर तलक इंतजार......
बहुत सुंदर!! रश्मि जी आपकी रचनाओं में जो सौन्दर्य बोध है, पूरी अकृत्रिमता ,निश्छलता और सहजता से सामने आता है इसमें बनावट जैसे बिलकुल नहीं है ...मैं अभिभूत हूँ पढ़कर ,नमन आपको !!
वाह क्या बात है अनुपम भाव संयोजन... बहुत खूब उम्दा प्रस्तुति...
बहुत खूब
prakriti ka shabd chitran behtarin dhang se kiya hai .....ati sundar ....
बहुत सुंदर, अच्छी रचना
मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
बहुत सुंदर, अच्छी रचना
मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
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दिलकश रात का गेरा पैगाम ...
गहरे शब्दों में उलझी लाजवाब रचना ...
कुरते के बटन में उलझी लट
नाम दुहराती रही
तेरे अहसास लिपटे रहे सुबह तक
फैलती रही दरीचों में
रातरानी की महक
अजब अहसास को गजब विश्वास के साथ बोध कराती सुन्दर कृति
बहुत खूब..
अच्छी रचना
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