Saturday, May 4, 2013

ख्‍वाब़ और याद....


1. गए लम्‍हों की बारि‍श में डूब गई
अरमानों की छोटी-छोटी कि‍श्‍ति‍यां
कच्‍ची उमर की धूप में पके ख्‍वाब़
गुम हुई आवाजों का पता मांगते हैं



2.यादें कहती हैं तेरी
न मि‍लेगा सुकूं मुझको ताजिंदगी
मैं पनाह लूं कहीं, दि‍ल को मंजूर नहीं
तेरी बाजुओं का भी अब कोई आसरा नहीं.....



तस्‍वीर--साभार गूगल 

16 comments:

  1. कच्‍ची उमर की धूप में पके ख्‍वाब़
    गुम हुई आवाजों का पता मांगते हैं .... वाह

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    lateast post मैं कौन हूँ ?
    latest post परम्परा

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  3. वाह !!! बहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,रश्मि जी,,,

    RECENT POST: दीदार होता है,

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  4. मैं पनाह लूं कहीं, दि‍ल को मंजूर नहीं
    तेरी बाजुओं का भी अब कोई आसरा नहीं....
    वाह प्रेम में साहस
    बहुत सुंदर


    आग्रह है मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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  5. बहुत खूब भावाभिव्यक्ति .बेहद सशक्त अंदाज़ शब्दों की बुनावट .

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  6. बहुत खूब भावाभिव्यक्ति .बेहद सशक्त अंदाज़ शब्दों की बुनावट .

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  7. गए लम्‍हों की बारि‍श में डूब गई
    अरमानों की छोटी-छोटी कि‍श्‍ति‍यां
    वाह...बहुत खूब...

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  8. सुंदर भावाव्यक्ति ..

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  9. मैं पनाह लूं कहीं, दि‍ल को मंजूर नहीं
    तेरी बाजुओं का भी अब कोई आसरा नहीं.....


    भाव पूर्ण सुन्दर प्रस्तुति

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...!

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  11. कुछ उदास सी करती भावपूर्ण रचना -एक श्रेष्ठ रचना वही है जिससे रचनाकार की पीड़ा सर्वजन की पीड़ा बन जाती है !

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  12. गए लम्‍हों की बारि‍श में डूब गई
    अरमानों की छोटी-छोटी कि‍श्‍ति‍यां.
    बीते लम्हों में कुछ खो जाने का गम व्यक्त करती बहुत सुन्दर पंक्तियाँ.

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