उदासी की पहली किस्त....
* * * *
सारी रात की जागी आंखों ने भोर के उजाले में अपनी पलकें बंद की ही थी..........कि तभी कानों में आवाज आई......मेरा नाम पुकार रहे थे तुम......मगर...नहीं था कोई...
देख लो आकर, आंखों के नीचे की कालिमा ......एक ही दिन में इतनी गहरी हो गई। तुम जानते हो न....कि बगैर तुम्हारे मुझे नींद नहीं आती। रात भर महसूस होता रहा तुम्हारी बाहों का मजबूत बंधन.......तुम्हारे दिल की धड़कन। तुम्हारा हाथ थाम, दाहिने हाथ के कड़े को मैं गोल-गोल घुमाती रही, रात भर...कल्पना में और करती रही इंतजार..... इस लंबी रात के गुजर जाने का।
अब जल रही हैं आंखें....थकान ऐसी, जैसे मीलों सफर के बाद वापस आई हूं। हर दो मिनट बात मोबाइल उठाकर देखती हूं....कोई कॉल तो नहीं.....कहीं मैंने फोन साइलेंट मोड में तो नहीं डाल दिया भूले से.................
ना.....कहीं नहीं....कोई नहीं...
आज अमलताश को भी बड़े करीब से देखा जाकर। मगर उसमें उत्साह का पीला रंग नहीं था शामिल.....उसमें था मेरी उदासी का पीलापन.....निस्तेज...रंगहीन सा...खुद में खोया-खोया
कहां हो जान.....यूं इस तरह रूठकर कोई दूर जाता है क्या...दूरियों के परदे में छिपकर मेरे सब्र का इम्तहान न लो।
आओ न......इससे पहले कि अमलताश का रंग मेरी उदासी का रंग बनकर रह जाए....बैंगनी बैगनबेलिया का सारा रंग उड़ जाए.......चले भी आओ......कि तुम बिन बहुत उदास है कोई...
तस्वीर---अमलताश और मेरे कैमरे की नजर
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सारी रात की जागी आंखों ने भोर के उजाले में अपनी पलकें बंद की ही थी..........कि तभी कानों में आवाज आई......मेरा नाम पुकार रहे थे तुम......मगर...नहीं था कोई...
देख लो आकर, आंखों के नीचे की कालिमा ......एक ही दिन में इतनी गहरी हो गई। तुम जानते हो न....कि बगैर तुम्हारे मुझे नींद नहीं आती। रात भर महसूस होता रहा तुम्हारी बाहों का मजबूत बंधन.......तुम्हारे दिल की धड़कन। तुम्हारा हाथ थाम, दाहिने हाथ के कड़े को मैं गोल-गोल घुमाती रही, रात भर...कल्पना में और करती रही इंतजार..... इस लंबी रात के गुजर जाने का।
अब जल रही हैं आंखें....थकान ऐसी, जैसे मीलों सफर के बाद वापस आई हूं। हर दो मिनट बात मोबाइल उठाकर देखती हूं....कोई कॉल तो नहीं.....कहीं मैंने फोन साइलेंट मोड में तो नहीं डाल दिया भूले से.................
ना.....कहीं नहीं....कोई नहीं...
आज अमलताश को भी बड़े करीब से देखा जाकर। मगर उसमें उत्साह का पीला रंग नहीं था शामिल.....उसमें था मेरी उदासी का पीलापन.....निस्तेज...रंगहीन सा...खुद में खोया-खोया
कहां हो जान.....यूं इस तरह रूठकर कोई दूर जाता है क्या...दूरियों के परदे में छिपकर मेरे सब्र का इम्तहान न लो।
आओ न......इससे पहले कि अमलताश का रंग मेरी उदासी का रंग बनकर रह जाए....बैंगनी बैगनबेलिया का सारा रंग उड़ जाए.......चले भी आओ......कि तुम बिन बहुत उदास है कोई...
तस्वीर---अमलताश और मेरे कैमरे की नजर
16 comments:
.मन को छू गयी आपकी कहानी .आभार . बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ] साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
। हर दो मिनट बात मोबाइल उठाकर देखती हूं...कोई कॉल तो नहीं.कहीं मैंने फोन साइलेंट मोड में तो नहीं डाल दिया भूले से.................
.
. bahut khoob......
kitna dar sa lgta hein kise se dur jane mein.
Bahut khoob.....aisa mere saathbhee hua hai...pahli baar aapke blogpe aayi aur bada achha laga!
आपने लिखा....हमने पढ़ा
और भी पढ़ें;
इसलिए आज 23/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर (यशोदा अग्रवाल जी की प्रस्तुति में)
आप भी देख लीजिए एक नज़र ....
धन्यवाद!
आपने लिखा....हमने पढ़ा
और भी पढ़ें;
इसलिए आज 23/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर (यशोदा अग्रवाल जी की प्रस्तुति में)
आप भी देख लीजिए एक नज़र ....
धन्यवाद!
उदासी से रंग
बदल जाते हैं
मन के रंग में
इसी तरह से रंग जाते हैं
सुंदर से पीलेपन को
मटमैला पीला कर जाते हैं
उदासी से वाकई
रंग बदल जाते हैं !
सुंदर रचना !
उदासी से वाकई रंग बदल जाते हैं ! बहुत सुंदर प्रस्तुति ,,,
Recent post: जनता सबक सिखायेगी...
सुन्दर अभिव्यक्ति विचारों की | बधाई
मन को छूती बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति.
रंगों में कब उदासी उतर जाती है पता नहीं चलता .. सिवाय उनको जो तन्हाई में रहते हैं ...
सच है अब तो चले आओ ...
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (24-05-2013) को "ब्लॉग प्रसारण-5" पर लिंक की गयी है. कृपया पधारे. वहाँ आपका स्वागत है.
बढिया रचना
बहुत सुंदर
मेरे TV स्टेशन ब्लाग पर देखें । मीडिया : सरकार के खिलाफ हल्ला बोल !
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/05/blog-post_22.html?showComment=1369302547005#c4231955265852032842
ये किश्तों में छाती उदासी तो जान ले लेगी....
अनु
मन की उदासी रंगों में घुल जाती है कभी कभी
यह उदासी ख़त्म होनी चाहिए
साभार!
आदरेया आपकी यह कलापूर्ण रचना निर्झर टाइम्स पर 'विधाओं की बहार...' में संकलित की गई है।
कृपया http://nirjhar.times.blogspot.com पर अवलोकन करें।आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है।
सादर
बिन बुलाए, दबे पाँव आती है उदासी.... और फिर... बहुत रुलाती है....
~सादर!!!
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