हंसिए सा चांद
ये हंसिए सा चांद
जब भी मेरी छत पर आता है
जी चाहता है
हंसिए से
मेरे इर्द-गिर्द उग आए
बेमतलब के खर-पतवार
काट डालूं
और कह दूं इस चांद से
फक़त महबूब का चेहरा ही
नहीं दिखता तुझमें
तू मेरा औजार भी बन सकता है
मत समझ खुद को केवल
प्यार के काब़िल
कुछ सरफिरों का
तू हथियार भी बन सकता है......
तस्वीर--साभार गूगल
वाह ... बहुत खूब
ReplyDeleteतू मेरा औजार भी बन सकता है
ReplyDeleteमत समझ खुद को केवल
प्यार के काब़िल
कुछ सरफिरों का
तू हथियार भी बन सकता है......nice lines,
waah bahut khoob ...
ReplyDeleteमत समझ खुद को केवल
ReplyDeleteप्यार के काब़िल
कुछ सरफिरों का
तू हथियार भी बन सकता है......
वर्तमान का सच तो यही है
बहुत सुंदर रचना
आग्रह है पढ़ें "बूंद-"
http://jyoti-khare.blogspot.in
बहुत खूब ... अलग अंजाद से देखना शुरू किया है चाँद को ... हथियार ... एक और रूप ...
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