Saturday, April 6, 2013

तेरे बगैर..........


दि‍ल में तेरी याद
जुबां पर तेरा नाम
और
फेफड़ों में भरकर खूब सारी 
ताज़ी हवा
एक लंबी सांस के साथ छोड़ दूं

फि‍र कहूं खुद से
लो....
बगैर तेरे
आज का दि‍न भी
हो गया तमाम
फि‍र एक कसक
मेरे दामन में छोड़ गई
आज की शाम

सच कहो जानां, तुम्‍हें याद नहीं आती मेरी......


तस्‍वीर-- मेरे मोबाइल कैमरे की

8 comments:

  1. वियोग की कसक है ये,,,
    कोमल भावपूर्ण रचना...

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  2. बेहतरीन भावपूर्ण रचना.

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  3. आपकी याद उन्‍हें जरुर आती होगी, जिन्‍हें आप चाहते हैं।

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  4. विरह अग्नि भी अजीब है....
    सुंदर.

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  5. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (08 -04-2013) के चर्चा मंच 1208 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है | सूचनार्थ

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  6. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (08 -04-2013) के चर्चा मंच 1208 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है | सूचनार्थ

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  7. आज की ब्लॉग बुलेटिन समाजवाद और कांग्रेस के बीच झूलता हमारा जनतंत्र... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  8. सच कहो जानां, तुम्‍हें याद नहीं आती मेरी......

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