Tuesday, April 30, 2013

प्रेम-गीत.....



एक ख्‍वाब़
आंखों में पलना चाहता है
करता है कोई
सरगोशियां रात-दि‍न
अब होंठों पर
 प्रेम-गीत
मचलना चाहता है....

बीत गए जीवन के
सूने, थार से
बारह बरस
अब कैक्‍टस में भी
एक फूल गुलाबी
खि‍लना चाहता है...

जिंदगी के आसमान में
छाए रहे काले मेघ
चमका नहीं कभी
अरमानों का सूरज
एक आस का जुगनू
हर पल चमकना चाहता है

या मौला दे दे अब
मेरे ख्‍वाब़ों को अपनी दुआ
मर-मर के भी रह गया जो जिंदा
वही इक ख्‍वाब़
फि‍र से इन
आंखों में पलना चाहता है

तस्‍वीर--साभार गूगल

3 comments:

  1. या मौला दे दे अब
    मेरे ख्‍वाब़ों को अपनी दुआ
    मर-मर के भी रह गया जो जिंदा
    वही इक ख्‍वाब़
    फि‍र से इन
    आंखों में पलना चाहता है,,,

    बहुत सुंदर प्रस्तुति ,,,

    RECENT POST: मधुशाला,

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  2. या मौला दे दे अब
    मेरे ख्‍वाब़ों को अपनी दुआ
    मर-मर के भी रह गया जो जिंदा
    वही इक ख्‍वाब़
    फि‍र से इन
    आंखों में पलना चाहता हैaamin ....

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  3. आपकी मनोकामना पूर्ण हो .... :)

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