Monday, April 29, 2013

स्‍नेह की बूंद तलाशते तुम.....


देख रही हूं
रेगि‍स्‍तान की धूल भरी आंधी
और सारे सूखेपन के बीच
मृगमरीचि‍का में भटक कर
स्‍नेह की बूंद तलाशते तुम

जिंदगी गुम सी है
कि मोहब्‍बत छोड़ गई साथ
बेहि‍साब तन्‍हाई के आलम में
अपने हि‍स्‍से के लि‍ए कि‍स्‍मत से 
झगड़ रही हूं मैं

चलो, आज कर लेते हैं
एक समझौता
तुम अपने हि‍स्‍से का सारा दर्द,
सारी यादों कों
कर दो अब मेरे नाम

देखा करो उसके हसीन ख्‍वाब
याद करो सारे खुशनुमा लम्‍हे
बस...जब आंसुओं की हो बरसात
करो वादा
मेरे कांधे पर ही रोओगे सर रखकर

जानां......है तू बेहद अजीज मुझे, पर तेरे आंसू हैं बेशकीमती....प्‍यार न सही दामन आंसुओं से तो तर रहेगा


तस्‍वीर--साभार गूगल 

8 comments:

  1. बेहतरीन रचना |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  2. खूबसूरत पंक्तियाँ,
    "जानां......है तू बेहद अजीज मुझे, पर तेरे आंसू हैं बेशकीमती....प्‍यार न सही दामन आंसुओं से तो तर रहेगा"
    अच्छी कविता, पढकर अच्छा लगा.

    -Abhijit (Reflections)

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  3. बहुत बेहतरीन सुंदर प्रस्तुति,आभार.

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  4. प्यार न सही दामन आंसुओं से तो तर रहेगा- प्रेम
    की पराकाष्ठा .... इस कविता को आज दुबारा पढ़ा ...और अंतिम पन्तियों तक पहुँचते पहुँचते आंखें नम हो गयीं
    अपर्णा
    http://boseaparna.blogspot.in/

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  5. चलो, आज कर लेते हैं
    एक समझौता
    तुम अपने हि‍स्‍से का सारा दर्द,
    सारी यादों कों
    कर दो अब मेरे नाम

    स्नेह वश त्याग को उकेरती सुन्दर भाव पूर्ण पंक्तियाँ,,

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  6. waah ye sahara bhi kaphi hai jine ke liye ....

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  7. देखा करो उसके हसीन ख्‍वाब
    याद करो सारे खुशनुमा लम्‍हे
    बस...जब आंसुओं की हो बरसात
    करो वादा
    मेरे कांधे पर ही रोओगे सर रखकर
    वाह !!

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