Monday, April 22, 2013

यकीन की बूंदे.....


वादों का है मौसम
यकीन की बूंदे
हम तो हैं सीप
बैठे हैं आस लि‍ए

बरस जाओ 
मेरी ही अंजुरी में
कर के पूर्ण, स्‍वयं 
हो जाओ पूरे

बनकर मोती
नि‍कलोगे
अरमानों भरे घर से
विश्‍वास के समंदर से

उल्‍फत के दरिए में
न डूबोना कभी आस
और मेरा
असीम वि‍श्‍वास

तेरे-मेरे बीच के
कच्‍चे-पक्‍के रि‍श्‍ते की
यही है थाती
यही है सूत, कच्‍चा सा

कि कर लो यकीन
दि‍ला दो यकीन
हो जाओ ऐसे समर्पित
जैसे होते हो ईश चरण में...


तस्‍वीर--साभार गूगल 

7 comments:

Anonymous said...

सुंदर एवं मनभावन कविता। बधाई।

रविकर said...

सुन्दर अभिव्यक्ति-
आभार -

Aditi Poonam said...

खूबसूरत भाव भरी सुंदर कविता ......



Rajesh Kumari said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल २३ /४/१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।

अज़ीज़ जौनपुरी said...

सुन्दर भाव , सुंदर कविता

Anupama Tripathi said...

बहुत सुन्दर भाव ....और उतनी ही सुन्दर अभिव्यक्ति ...!!
बधाई एवं शुभकामनायें .

सदा said...

अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ....