ये मोहब्बत...
मोहब्बत में कभी-कभी ऐसा भी होता है
सूखी रहती हैं आंखें, जिस्म सारा रोता है
कहते नहीं अब उनसे कभी हाल-ए- दिल
हुआ यकीं जब, दिल पत्थर सा भी होता है
होती है क्यों अक्सर हमें उसी से मोहब्बत
जो शख्स हमारा नहीं, और किसी का होता है
तस्वीर--साभार गूगल
सही बात ...:((
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी...
ReplyDeletemuhabbat chij hi aisi hai ..
ReplyDeleteवाह :)
ReplyDeleteहोता है कभी-कभी ऐसा भी... सुन्दर रचना
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ReplyDeleteबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
संगेमर्मर की तरह साफ़ मुहब्बत हो अगर,
एक दिन ताजमहल बन के दिखा देती है,,,
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
ReplyDeleteबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
संगेमर्मर की तरह साफ़ मुहब्बत हो अगर,
एक दिन ताजमहल बन के दिखा देती है,,,
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
ReplyDeleteबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
संगेमर्मर की तरह साफ़ मुहब्बत हो अगर,
एक दिन ताजमहल बन के दिखा देती है,,,
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
बढ़िया।
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुंदर ग़ज़ल ,रश्मि जी....
ReplyDeleteसाधू साधू
ReplyDeletedarde- mohabbt ke ahshas me dubi prastuti,bahut khoob
ReplyDeleteबढ़िया है आदरणीया-
ReplyDeleteशुभकामनायें-
sidhi bat dil tak pahuch gai isi ko to moh..bat kahte hain ...
ReplyDelete'जो शख्स हमारा नहीं, और किसी का होता है'
ReplyDelete- सबसे बड़ा उदाहरण सामने है,देख लीजिए राघा-कृष्ण को!
umda panktiya...
ReplyDeleteमन पागल जो है .. फिर पत्थर से प्यार करता है ...
ReplyDeleteसभी शेर लाजवाब ...
कोमल भावो की अभिवयक्ति .
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