Saturday, April 20, 2013

ये मोहब्‍बत...


मोहब्‍बत में कभी-कभी ऐसा भी होता है
सूखी रहती हैं आंखें, जि‍स्‍म सारा रोता है

कहते नहीं अब उनसे कभी हाल-ए- दि‍ल 
हुआ यकीं जब, दि‍ल पत्‍थर सा भी होता है

होती है क्‍यों अक्‍सर हमें उसी से मोहब्‍बत
जो शख्‍स हमारा नहीं, और कि‍सी का होता है


तस्‍वीर--साभार गूगल 

19 comments:

  1. होता है कभी-कभी ऐसा भी... सुन्दर रचना

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  2. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
    संगेमर्मर की तरह साफ़ मुहब्बत हो अगर,
    एक दिन ताजमहल बन के दिखा देती है,,,
    RECENT POST : प्यार में दर्द है,

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  3. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
    संगेमर्मर की तरह साफ़ मुहब्बत हो अगर,
    एक दिन ताजमहल बन के दिखा देती है,,,
    RECENT POST : प्यार में दर्द है,

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  4. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
    संगेमर्मर की तरह साफ़ मुहब्बत हो अगर,
    एक दिन ताजमहल बन के दिखा देती है,,,
    RECENT POST : प्यार में दर्द है,

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  5. बहुत सुंदर ग़ज़ल ,रश्मि जी....

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  6. बढ़िया है आदरणीया-
    शुभकामनायें-

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  7. sidhi bat dil tak pahuch gai isi ko to moh..bat kahte hain ...

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  8. 'जो शख्‍स हमारा नहीं, और कि‍सी का होता है'
    - सबसे बड़ा उदाहरण सामने है,देख लीजिए राघा-कृष्ण को!

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  9. मन पागल जो है .. फिर पत्थर से प्यार करता है ...
    सभी शेर लाजवाब ...

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  10. कोमल भावो की अभिवयक्ति .

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