Thursday, April 18, 2013

कि ढल गया सूरज.....


अब भी खड़ी हूं अलकनंदा के तट पर
इंतजार में
कि ढल गया सूरज, तो क्‍या
मुरझा गए हाथों के फूल 
तो क्‍या
कि‍या था तुमने वादा
शाम का
कि सूरज जब हो उतावला
जाएगा संध्‍या से मि‍लने
मैं भी उतनी ही बेताबी से
आउंगा तुमसे मि‍लने
बस वहीं करना तुम मेरा इंतजार

अब तो ढल गई शाम, बताओ न
कहां हो तुम.....


तस्‍वीर--साभार गूगल

14 comments:

  1. ati uttam...................kavita

    aagrh h ki ... isme bhi shamil ho....

    http://anandkriti007.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. अति सुन्दर दिल को छू लेनेवाली रचना..
    :-)

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर। बधाई!

    ReplyDelete
  4. intazaar kaa bahut sundar chitran. waise intazaar ka bhe apna ek anand hotaa hai jo milne par samapt ho jata hai..
    bahut hi sundar rachna

    ReplyDelete
  5. wah wah, talash jari rakhiye, bhawnao ko khoobshurat shabdon me piro diya ahi

    ReplyDelete
  6. सुंदर रचना रश्मि जी....
    इंतज़ार का अपना मज़ा होता है....

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति !!
    पधारें बेटियाँ ...

    ReplyDelete
  8. इंतज़ार के पल कटते नहीं ..... बेहतरीन रचना

    ReplyDelete
  9. सुन्दर दिल को छू लेनेवाली रचना.

    ReplyDelete
  10. bahut sundar ...aapko fb par request bhejne ki koshish ki thi par aapki privacy settings relatives aur close friends ke alava kisi ko allow nahin karti hai.aap apni ore se request bhej dijiyega
    maine kuch nayin rachnayen post ki hain.please padh kar apni pratikriya post karen.
    regards
    http://boseaparna.blogspot.in/

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर , बेहतरीन रचना

    ReplyDelete

अगर आपने अपनी ओर से प्रतिक्रिया पब्लिश कर दी है तो थोड़ा इंतज़ार करें। आपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग पर ज़रूर देखने को मिलेगी।