कि ढल गया सूरज.....
अब भी खड़ी हूं अलकनंदा के तट पर
इंतजार में
कि ढल गया सूरज, तो क्या
मुरझा गए हाथों के फूल
तो क्या
किया था तुमने वादा
शाम का
कि सूरज जब हो उतावला
जाएगा संध्या से मिलने
मैं भी उतनी ही बेताबी से
आउंगा तुमसे मिलने
बस वहीं करना तुम मेरा इंतजार
अब तो ढल गई शाम, बताओ न
कहां हो तुम.....
तस्वीर--साभार गूगल
ati uttam...................kavita
ReplyDeleteaagrh h ki ... isme bhi shamil ho....
http://anandkriti007.blogspot.com
अति सुन्दर दिल को छू लेनेवाली रचना..
ReplyDelete:-)
बहुत सुन्दर। बधाई!
ReplyDeleteintazaar kaa bahut sundar chitran. waise intazaar ka bhe apna ek anand hotaa hai jo milne par samapt ho jata hai..
ReplyDeletebahut hi sundar rachna
wah wah, talash jari rakhiye, bhawnao ko khoobshurat shabdon me piro diya ahi
ReplyDeleteसुंदर रचना रश्मि जी....
ReplyDeleteइंतज़ार का अपना मज़ा होता है....
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति !!
ReplyDeleteपधारें बेटियाँ ...
इंतज़ार के पल कटते नहीं ..... बेहतरीन रचना
ReplyDeleteसुन्दर दिल को छू लेनेवाली रचना.
ReplyDeletebahut sundar ...aapko fb par request bhejne ki koshish ki thi par aapki privacy settings relatives aur close friends ke alava kisi ko allow nahin karti hai.aap apni ore se request bhej dijiyega
ReplyDeletemaine kuch nayin rachnayen post ki hain.please padh kar apni pratikriya post karen.
regards
http://boseaparna.blogspot.in/
बहुत सुन्दर , बेहतरीन रचना
ReplyDeleteAtti uttam .. wahh
ReplyDeleteखुबसूरत रचना
ReplyDeleteतेरे मन में राम [श्री अनूप जलोटा ]