Wednesday, April 10, 2013

याद की घूंट.......


कि‍स चीज के साथ कब कि‍सी की याद जुड़ जाए..... कोई नहीं जानता.....
इंसान की आंखें और उसका मस्‍तिष्‍क एक अव्‍वल दर्जे का कैमरा होता है.....जिस पल क्‍लि‍क की आवाज आई......वो लम्‍हा आंखों और यादों में कैद हो जाता है.....फि‍र चाहे उम्र गुजरे या 
इंसान बदले..वे पल नहीं जाता कहीं....न धुंधला होता है...

जानते हो
मुझे सि‍गरेट पसंद नहीं
पर जब पहली बार देखा था तुम्‍हें
तुम
अपनी बाईक के सहारे खड़े हो
उड़ा रहे थे
धुएं के छल्‍ले
एक हाथ में सि‍गरेट
दूसरे में कॉफी मग

मि‍लीं थी नजरें
पल भर को
और फि‍क्‍स हो गया था
वो पल, वो आंखें
मैं सड़क की इस ओर
तुम उस तरफ
मि‍लीं नजरें
दूर जाकर
देखा पलटकर
अलपक तकतीं तुम्‍हारी आंखें

फि‍र न तुम दि‍खे
न वो बेताब नि‍गाहें
ढूंढती रही बरसों-बरस
आई बस एक खबर
कि अब तुम नहीं...कहीं नहीं

अब भी
सिगरेट पीता हर शख्स
मुझे तुम सा ही लगता है
और हर दि‍न जब
कॉफी की घूंट
उतरती है गले में
वो तुम्‍हारी याद की घूंट होती है.....


तस्‍वीर--साभार गूगल 

 20 अप्रैल को जयपुर सि‍टी भास्‍कर में ब्‍लॉग की दुनि‍या कालम में प्रकाशि‍त....

10 comments:

  1. सिगरेट ओर कौफी से जुडी यादें ... हमेशा लौटती रहेंगी .. बहाना बन के ...
    खूबसूरत शब्द ...

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  2. आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
    कृपया पधारें

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  3. रश्मि जी मैं कविताएँ बहुत कम पढता हूँ क्यूंकि मुझे समझ ही नहीं आती लेकिन आपके लिखे हर एक शब्द दिल को छु से गए | जितनी तारीफ की जाए कम है |

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  4. अतीत के यादों की बहुत प्रभावी उम्दा प्रस्तुति !!!

    recent post : भूल जाते है लोग,

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  5. -कोई कुछ कहता है, तेरे स्वर का धोखा हो जाता है,
    होता है ऐसा भी !

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  6. वाह जी खूबसूरत चित्रण किया आपने , बेहतरीन शब्द संयोजन

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  7. भावो की लाजवाब अभिव्यक्ति ..बहुत शुभकामनाये रशिम जी ..

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