मुझे बेहद पसंद है् पलाश के फूल...जब भी देखती हूं.....बिना पत्ते के लाल-लाल.....दग्ध पलाश, मुझे लगता है इसके पीछे कोई ऐसी कहानी रही होगी....लोक कथा.....दंत कथा....जिसे समय के साथ सबने भुला दिया..........कि
एक बेहद खूबसूरत राजकुमारी थी। एक बार वह आखेट के दौरान सखियों के संग प्यास बुझाने जंगल में झील के किनारे गई......वहीं उसने देखा उसे, और प्यार जो गया उससे। वो था ही इतना खूबसूरत.....बिल्कुल किसी युवराज सा....
दोनों की आंखें मिली......लगा...पसंद करते हैं एक-दूजे को.....मन ही मन प्रण लिया, कि मिलेंगे......
कई मुलाकातें....प्यार परवान चढ़ा........वहीं झील का किनारा उनके मिलन का गवाह बना.......
आखिरकार वो मिल न सके......प्रेमी लड़का कहीं गुम हो गया...या दूर चला गया......
राजकुमारी पागलों की तरह उसे ढूंढती फिर रही है......जंगल...झाड़...नंगे पांव...
तीव्र विरह वेदना से उसकी आंखों से आंसू गिर रहे हैं....अनवरत......दग्ध हृदय से वह पुकार रही है.......कहां हो.......तुम कहां हो....
उसके झरझर गिरते आंसू में इतनी ताब है.....हृदय में इतनी वेदना है्.......कि जहां-जहां उसके आंसू गिरे....वहां पलाश के पेड़ उग आए.....
जब यादों का मौसम आता है...बसंत आता है....पेड़ के सारे पत्ते उसकी याद में झर जाते हैं और नग्न पलाश का वृक्ष राजकुमारी की आंसुओं से बने लाल फूलों से लद जाता है, सारा जंगल भर जाता है........
कि..... जाने वाला इन यादों के फूलों को देखकर लौट आए......और राजकुमारी के अतृप्त आत्मा को सुकून मिल जाए.......
जानती हूं.......ये मेरी कोरी कल्पना है, मगर मैं जब भी पलाश के फूल देखती हूं....अहसास होता है कि इनके पीछे कोई मार्मिक कहानी जरूर होगी।
14 comments:
और क्या होगी कहानी इसके सिवा …………बहुत खूबसूरत अन्दाज़ रहा हमारे तो मन को छू गया।
सुंदर अभिव्यक्ति....
मन को छू लेनेवाली कहानी बताई है आपने...
बहुत संवेदनशील...
.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति ."महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें" आभार मासूम बच्चियों के प्रति यौन अपराध के लिए आधुनिक महिलाएं कितनी जिम्मेदार? रत्ती भर भी नहीं . .महिलाओं के लिए एक नयी सौगात WOMAN ABOUT MAN
महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
प्रेम जहां प्रताड़ित होगा वहां पलाश... ओह
आज की ब्लॉग बुलेटिन गर्मी आ गई... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,आभार.
बहुत सुंदर
क्या कहने
बहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
बहुत सुन्दर कल्पना और कहानी ....
पलाश के फूल सोचने को विवश कर ही देते हैं ,,,
खूबसूरत अंदाज-ए-बयाँ ...
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई
त्रिलोचन के बाद आज आपका गद्य काव्य पढ़ा। बहुत सुन्दर!
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