मेरे मौला
उन तक मेरी
आवाज पहुंचा दे
कि जी न पाएंगे अब
रख दे रहम का हाथ
सर पे
एक आस है
बंधती भी नहीं
टूटती भी नहीं
भरा-भरा सा है अंदर
न बहता है न सूखता है
एक आग है धधकती हरदम
आंख बरसाता प्रेम
एक जिद है
न देती कहने न पूछने
मेरे मौला
अहसास जुर्म तो नहीं
इंसाफ दिला दे
एक बार उसे सामने तो ला दे....
तस्वीर--साभार गूगल
मौला हमेशा हमारे साथ है भरोसा रखना चाहिए,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteब्लोग्स संकलक (ब्लॉग कलश) पर आपका स्वागत है,आपका परामर्श चाहिए.
"ब्लॉग कलश"
amazing ....
ReplyDeleteक्या कहने
ReplyDeleteबहुत सुंदर
Bahut sundar Rachna ...
ReplyDeletehttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post_11.html
बहुत ही सहज शब्दों में कितनी गहरी बात कह दी आपने..... खुबसूरत अभिवयक्ति....
ReplyDeleteबहुत शानदार उम्दा अभिव्यक्ति ,,
ReplyDeleterecent post: बसंती रंग छा गया
बहुत सुंदर कविता.....
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