Tuesday, February 5, 2013

शायद समझ जाते तुम.....



जब दि‍ल
चाहता है
बस तुम्‍हारे लि‍ए सोचना
काश कि उस वक्‍त
रूबरू तुम होते

मैं करती तुमसे
मौसम की बातें
सि‍यासत और
दुनि‍यादारी की
तमाम बातें
बि‍ना रूके....घंटों

लड़ती-झगड़ती
जो न हुआ
न होगा कभी
उन बातों के लि‍ए भी

मगर एक बार भी
जि‍क्र न आता
जुंबा पर मेरे
पर शायद
समझ जाते तुम
कि‍ जानां
प्‍यार है तुम्‍हीं से....

तस्‍वीर--साभार गूगल

8 comments:

  1. मौन अभिव्यक्ति शाश्वत प्रेम की ....
    सुंदर भाव .....
    शुभकामनायें ॥

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  2. बढ़िया प्रस्तुति |
    शुभकामनायें आदरेया ||

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  3. कैसा है, क्या है, क्यों है ये किसी के भी सवालों का हल नहीं |
    बात ये है कि आपकी रचना को नज़र अंदाज़ करना कैसे भी सरल नहीं .. !!

    बहुत सुंदर !!

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  4. सुंदर भाव .....
    बहुत सुंदर !!

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  5. अनुपम भाव लिये बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

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