Wednesday, February 6, 2013

सांसें तेरे नाम की.....



जिंदगी मेरी
सांसें तेरे नाम की
मेरा होना
तेरे होने से ही होता है पूरा

कि आ भी जाओ
रूह को तसल्‍ली मि‍ले

मेरी आहों ने चूमा है बारहा
नि‍शान उन पांवों के
जो मि‍लकर धूल से
इस माथे का टीका बने

एक हंसी खि‍ली थी चांदनी रात में
अब तो चांद भी मुरझाया सा है........

तस्‍वीर--साभार गूगल

4 comments:

  1. KYA BAT HAI,KYA ANDAJ HAI, BEHATAREEN , मेरी आहों ने चूमा है बारहा
    नि‍शान उन पांवों के
    जो मि‍लकर धूल से
    इस माथे का टीका बने

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  2. आप सब का साथ बनाए हमारे दिन को खास - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. your poetry is just amazing...i love too come here ...Congratulations!!

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  4. सुंदर प्रस्तुति। कल्पनाओं की सहजता और तेरे-मेरे के भेद से परे इंतजार में व्याकुल मन की व्यथा को शब्द देती रचना। शुक्रिया।

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