Monday, February 4, 2013

ये आंखें......

तेरी याद में जब जी भरकर
रो लेती हैं .....ये आंखें

कसम से

तेरे प्‍यार की तरह खूबसूरत
हो जाती हैं......ये आंखे


क्‍या तुम्‍हें मालूम है, इन तरसती आंखों का ठि‍काना
बावस्‍ता तुमसे ही है मुकर जाओ ये और बात है.....


तस्‍वीर--आंखें कि‍सकी है...ये पहचानि‍ए आप

9 comments:

Unknown said...

behatareen,syndar aankho se chalkte sunder bhav,NEW POST=Mohabbt karenge.......aur KHULA SAND

शिवम् मिश्रा said...

वाह ...

कौन करेगा नमक का हक़ अदा - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

रविकर said...

बहुत बढ़िया -
आभार ||

रविकर said...

आँखों का काजल समझ, दिल में रही बसाय |
आँखों का काजल चुरा, लेकिन वो ले जाय ||

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

काजल लगाया आपने निगाहों के आस पास,
ये आँखे आपकी आखिर हम पहचान ही गये,,,,

RECENT POST बदनसीबी,

Rajendra kumar said...

स्वप्न अपनी आँखों में कोई बसाकर क्या करे,आँधियों के गावं में दीपक जलाकर क्या करें।

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती।

Rajesh Kumari said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/2/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है

मेरा मन पंछी सा said...

वाह|||
बहुत सुन्दर...
:-)

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ...