थोड़ा बादल.....थोड़ा पानी, जरा सा शाम का अंधियारा,
एक धधकती चाहत
और तेरी आरजू का बवंडर साथ ले....सागर सा मौन साध चली जाती हूं दुनिया की नजरों से दूर.....
यादों के शमियाने में एकांतवास...बड़ा रास आएगा
कि टीसता है बहुत, तेरा होकर भी न होना.....
तस्वीर--साभार गूगल
यादों के शमियाने में एकांतवास...बड़ा रास आएगा
ReplyDeleteकि टीसता है बहुत, तेरा होकर भी न होना.....
वाह... बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ
बहुत सुन्दर दामिनी गैंगरेप कांड :एक राजनीतिक साजिश ? आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक एवं सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteआदरेया यह पंक्तियाँ तो ऐसा लगता है जीवित हैं, खुद ही बोल रही हैं, वाह आनंद आ गया खास कर इन पंक्तियों के लिए ज्यादा बधाई.
ReplyDeleteयादों के शमियाने में एकांतवास...बड़ा रास आएगा
कि टीसता है बहुत, तेरा होकर भी न होना.....
सुन्दर भावाभिव्यक्ति !
ReplyDeleteकि टीसता है बहुत, तेरा होकर भी न होना.....
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