Wednesday, February 20, 2013

टीसता है बहुत....



थोड़ा बादल.....थोड़ा पानी, जरा सा शाम का अंधियारा,

एक धधकती चाहत
और तेरी आरजू का बवंडर साथ ले....सागर सा मौन साध चली जाती हूं दुनि‍या की नजरों से दूर.....
यादों के शमि‍याने में एकांतवास...बड़ा रास आएगा

कि टीसता है बहुत, तेरा होकर भी न होना.....

तस्‍वीर--साभार गूगल

7 comments:

  1. यादों के शमि‍याने में एकांतवास...बड़ा रास आएगा
    कि टीसता है बहुत, तेरा होकर भी न होना.....
    वाह... बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ

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  2. सुन्दर प्रस्तुति ...

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  3. बहुत ही सार्थक एवं सुन्दर प्रस्तुति.

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  4. आदरेया यह पंक्तियाँ तो ऐसा लगता है जीवित हैं, खुद ही बोल रही हैं, वाह आनंद आ गया खास कर इन पंक्तियों के लिए ज्यादा बधाई.

    यादों के शमि‍याने में एकांतवास...बड़ा रास आएगा
    कि टीसता है बहुत, तेरा होकर भी न होना.....

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  5. सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

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  6. कि टीसता है बहुत, तेरा होकर भी न होना.....

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