रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
बहुत सुंदर
सुंदर जब भी याद तेरी आईगले इसे लगाया....जो कह न पाई तुझसेसब कुछ इसे बताया...जब तन्हा-उदास हुईहर वक्त इसे साथ पाया...इस भरी दुनियां मेंयही तो है मेरा हमसाया....
बहुत कोमल प्रस्तुति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!--आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (11-02-2013) के चर्चा मंच-११५२ (बदहाल लोकतन्त्रः जिम्मेदार कौन) पर भी होगी!सूचनार्थ.. सादर!
इसने तो मुझे भी है रूलायाजब मेरी बिटिया ने ज़िद करके महंगा टैडी खरीदवाया।अब वो हो चुकी है बड़ीलेकिन आज़ भी फुर्सत मेंअपनी टैडी के साथहमेशा रहती है खड़ी।
bahut sunder ...
कोमल प्रस्तुति...
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बहुत सुंदर
ReplyDeleteसुंदर जब भी याद तेरी आई
ReplyDeleteगले इसे लगाया....
जो कह न पाई तुझसे
सब कुछ इसे बताया...
जब तन्हा-उदास हुई
हर वक्त इसे साथ पाया...
इस भरी दुनियां में
यही तो है मेरा हमसाया....
बहुत कोमल प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (11-02-2013) के चर्चा मंच-११५२ (बदहाल लोकतन्त्रः जिम्मेदार कौन) पर भी होगी!
सूचनार्थ.. सादर!
इसने तो मुझे भी है रूलाया
ReplyDeleteजब मेरी बिटिया ने
ज़िद करके महंगा टैडी खरीदवाया।
अब वो हो चुकी है बड़ी
लेकिन आज़ भी फुर्सत में
अपनी टैडी के साथ
हमेशा रहती है खड़ी।
bahut sunder ...
ReplyDeleteकोमल प्रस्तुति...
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