Monday, January 7, 2013

उफ.......ये सर्दी


उफ....ये ठंड...ये बर्फीली हवा......उतावली है यह तो अंदर आने के लि‍ए.......
एक सूराख चाहि‍ए बस इसे.....यूं चली आती है जैसे बरसों के बाद अपने पी को देख कर बावरी प्रेयसी। और अगर गलती से खोल दो खि‍ड़की या दरवाजा...आ धमकती है थानेदार की तरह शान से और हम अभि‍युक्‍त की तरह थरथराते हैं....कांपते हैं भीगे पत्‍ते की तरह.....
जाने कि‍तनी जान ले लेगी इस बरस की सर्दी....बेईमान सर्दी......
इत्‍त्‍त्‍ती भी क्‍या पड़ी है तुझे यहां आने की......अगले बरस के लि‍ए कुछ बचा के रक्‍खो न........हमें तो प्‍यारी लगती हो.....
और न सताओ अब......

5 comments:

  1. सच कड़कती सर्दी हैं .. दिमाग भी सुन्न और उँगलियाँ भी सुन्न हुए जा रही है ..

    ReplyDelete
  2. sundar abhivyakti ***^^^****उफ....ये ठंड...ये बर्फीली हवा......उतावली है यह तो अंदर आने के लि‍ए.......
    एक सूराख चाहि‍ए बस इसे.....यूं चली आती है जैसे बरसों के बाद अपने पी को देख कर बावरी प्रेयसी। और अगर गलती से खोल दो खि‍ड़की या दरवाजा...आ धमकती

    ReplyDelete
  3. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

    ReplyDelete
  4. अति सुंदर कृति
    ---
    नवीनतम प्रविष्टी: गुलाबी कोंपलें

    ReplyDelete

अगर आपने अपनी ओर से प्रतिक्रिया पब्लिश कर दी है तो थोड़ा इंतज़ार करें। आपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग पर ज़रूर देखने को मिलेगी।