Thursday, January 24, 2013

बाबा मेरे - नहीं करना ब्‍याह मुझे


बाबा मेरे
नहीं करना ब्‍याह मुझे

मैं कोलंबस की तरह
दुनि‍या की सैर पर जाउंगी
नहीं दो मुझे तुम दहेज
मत बनाओ जायदाद का हि‍स्‍सेदार
बस मुझे दे दो
एक नाव
जिंदा रहने भर रसद
और ढेर सी कि‍ताबें

बाबा मेरे
दुनि‍या कहती है परकटी मुझे

पढ़ना और हक के लि‍ए लड़ना
क्‍या बुरी स्‍त्रि‍यों के लक्षण हैं...
मेरे हि‍स्‍से का दूध
भाई को पि‍लाने पर भी
मैं बचपन में मां से कभी नहीं लड़ी
तब नासमझ थी मैं,
अब नहीं
क्‍यूं न लडूं अपने अधि‍कार के लि‍ए
क्‍यों न जलाउं अन्‍याय के खि‍लाफ़ मशाल

बाबा मेरे
मैं लज्‍जाहीन नहीं

लड़के कहते हैं
शादी करनी चाहि‍ए
कमअक्‍ल और बेवक़ूफ लड़कि‍यां
जि‍न पर
हुक्‍म चलाया जा सके
उन्‍हें कहां पसंद आती है तर्कपसंद लड़कि‍यां
मुझे चुप रहना नहीं आता...इसलिए

बाबा मेरे
नहीं करना ब्‍याह मुझे

मत बांधो मुझे बंधन में
मैं भोग्‍या नहीं
मैं जागीर नहीं
मैं बंधुआ मजदूर नहीं
मुझे दे दो
मेरे हि‍स्‍से की आजादी
खुली सांस...खुला आसमान
कि मैं
कोलंबस की तरह जीना चाहती हूं......

तस्‍वीर -- साभार गूगल

13 comments:

  1. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना |आजादी से बढ़ कर और क्या चाहिए |
    आशा

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  2. मत बांधो मुझे बंधन में
    मैं भोग्‍या नहीं
    मैं जागीर नहीं
    मैं बंधुआ मजदूर नहीं
    मुझे दे दो
    मेरे हि‍स्‍से की आजादी
    बहुत सुन्दर

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  3. bahut khoob RASHMI JI,मत बांधो मुझे बंधन में
    मैं भोग्‍या नहीं
    मैं जागीर नहीं
    मैं बंधुआ मजदूर नहीं
    मुझे दे दो
    मेरे हि‍स्‍से की आजादी
    खुली सांस...खुला आसमान
    कि मैं
    कोलंबस की तरह जीना चाहती हूं......

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  4. लड़के कहते हैं
    शादी करनी चाहि‍ए
    कमअक्‍ल और बेवक़ूफ लड़कि‍यां
    जि‍न पर
    हुक्‍म चलाया जा सके

    सही कहा ...!!

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  5. मुझे दे दो
    मेरे हि‍स्‍से की आजादी,,,,

    बहुत सुन्दर,,,,भावपूर्ण अभिव्यक्ति,,,

    recent post: गुलामी का असर,,,

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  6. कविता नहीं, एक सशक्त आवाज़ अधिकार के लिए, समानता के लिए।

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  7. बहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  8. मुझे दे दो
    मेरे हि‍स्‍से की आजादी
    खुली सांस...खुला आसमान
    कि मैं
    कोलंबस की तरह जीना चाहती हूं......
    काश हर पिता अपनी बेटी के मन को समझ सकते...

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  9. बढ़िया अभिव्यक्ति

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  10. बेहतरीन कवितायें

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  11. bhaut hi shaskat aur prbhaavshali rachna......

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  12. बहुत ही अच्छा..कड़वे सच को उजागर करती रचनी...सुन्दर प्रस्तुति..

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