Wednesday, January 30, 2013

उसकी आवाज और.....वो


एक ति‍लि‍स्‍म है
वो आवाज
जब उतरती है
तो
रूह तक पहुंचती है

गूंजती है
पहाड़ि‍यों में गुम कि‍सी आवाज की तरह
जि‍से छोड़ आता है
प्रेमि‍का की याद में...आस में
एक प्रेमी
जो यकीन करना चाहता है
दंतकथाओं पर
कि
कई जन्‍मों के बंधन पार कर
वो आएगी एक दि‍न

गहरी आवाज
कभी घाटि‍यों में उतरती झरने सी
मंदि‍र में बजती घंटि‍यों सी
या शाम की अज़ान सी

कभी इतनी प्‍यासी
कि सुनकर
नखलि‍स्‍तान बनने की कामना जागे

एक ति‍लि‍स्‍म
एक ज़ादू
उसकी आवाज
और.....वो....................।

तस्‍वीर--साभार गूगल

13 comments:

  1. बहुत ही प्यारी और भावो को संजोये रचना......

    ReplyDelete
  2. सुंदर अभिव्यक्ति ...

    ReplyDelete
  3. कभी इतनी प्‍यासी
    कि सुनकर
    नखलि‍स्‍तान बनने की कामना जागे

    नखलिस्तान और प्यास का प्रयोग कविता को और मुखर कर रहा है।

    बहुत बढ़िया रचना।

    ReplyDelete
  4. कभी इतनी प्‍यासी
    कि सुनकर
    नखलि‍स्‍तान बनने की कामना जागे

    नखलिस्तान और प्यास का प्रयोग कविता को और मुखर कर रहा है।

    बहुत बढ़िया रचना।

    ReplyDelete
  5. ह्रदय की गहराई से निकली आवाज को जरुर प्रतिसाद मिलेगा !
    आभार ब्लॉग पर आने का !

    ReplyDelete
  6. इतनी मीठी आवाज़ .....?
    हम तो ललचा गए सुनने को ....:))

    ReplyDelete
  7. कभी इतनी प्‍यासी
    कि सुनकर
    नखलि‍स्‍तान बनने की कामना जागे
    -------------------------------------
    इतना सुन्दर विरोधाभास सराहनीय है |भावुकता का
    ऐसा श्रेष्ठ अभिव्यक्तीकरण कम ही मिलता है !

    ReplyDelete
  8. जब आवाज़ में इतना जादू है तो उनमें क्या होगा ... लाजवाब भाव ...

    ReplyDelete
  9. आप की ये खूबसूरत रचना शुकरवार यानी 8 फरवरी की नई पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है...
    आप भी इस हलचल में आकर इस की शोभा पढ़ाएं।
    भूलना मत

    htp://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com
    इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है।

    सूचनार्थ।

    ReplyDelete
  10. एक ति‍लि‍स्‍म
    एक ज़ादू
    उसकी आवाज
    और.....वो....................।
    बेहद खूब !!

    ReplyDelete

अगर आपने अपनी ओर से प्रतिक्रिया पब्लिश कर दी है तो थोड़ा इंतज़ार करें। आपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग पर ज़रूर देखने को मिलेगी।