Saturday, December 8, 2012

अशआर

1. रात उसके कुर्ते के कोने में जा अटकी थी मेरी नींद बेमुरव्‍वत
अलवि‍दा कहे बि‍ना जो शख्‍स यहां से चुपचाप नि‍कल गया .....


2.जब भी दि‍या...मेरे शऊर ने धोखा दि‍या मुझे
बरबाद हम हुए...कि‍सी की खता नहीं.....





3.गुबार सा उठा था दि‍ल में आंसुओं से नि‍कल गया
चलो इस बहाने कुछ तो दि‍ल का मैल धुल गया....


4.तिरे अहसास की गरमी से जल रहा है जिस्म मेरा
लोग समझते हैं क़मबख्त पर सरदी भी बेअसर है.....


5.खुश्‍बुओं के साए में आज कुछ देर तो ठहर जाने दे
सुबह का धड़का न हो कोई, एक रात तो ऐसी गुजर जाने दे...


6.फरेब खाकर तो संभल जाते हैं सभी
दि‍ल संभलना न चाहे तो कोई क्‍या करे......

16 comments:

sangita said...

बेहद दिलकश और ख़ूबसूरत अशआर ,आभार,

Shalini kaushik said...

3.गुबार सा उठा था दि‍ल में आंसुओं से नि‍कल गया
चलो इस बहाने कुछ तो दि‍ल का मैल धुल गया....

सही कह रहे हैं आप स्थिति तो कुछ ऐसी ही है .
प्रयास सफल तो आज़ाद असफल तो अपराध [कानूनी ज्ञान ] और [कौशल ].शोध -माननीय कुलाधिपति जी पहले अवलोकन तो किया होता .पर देखें और अपने विचार प्रकट करें

Rohitas Ghorela said...

बहुत ही गजब के शेर ... इस शेर का तो कोई मुकाबला ही नही ..

4.तिरे अहसासों की गरमी से जल रहा है जिस्म मेरा
लोग समझते हैं इस क़मबख्त पर सरदी भी बेअसर है.....

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत बढियां..
सभी दिल को छु लेनेवाली
बहुत सुन्दर...
:-)

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत बढियां..
सभी दिल को छु लेनेवाली
बहुत सुन्दर...
:-)

ओंकारनाथ मिश्र said...

तिरे अहसासों की गरमी से जल रहा है जिस्म मेरा
लोग समझते हैं इस क़मबख्त पर सरदी भी बेअसर है

खूबसूरत भाव..बांकी शेर भी अच्छे हैं.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ....

अरुन अनन्त said...

बेहद भाव पूर्ण अभिव्यक्ति बधाई स्वीकारें
अरुन शर्मा
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Anonymous said...

उत्कृष्ट लेखन !!

दिगम्बर नासवा said...

सभी शेर लाजवाब ... एहसास लिए ... भाव लिए ...

रचना दीक्षित said...

फरेब खाकर तो संभल जाते हैं सभी
दि‍ल संभलना न चाहे तो कोई क्‍या करे......

यह तो वाकई परेशानी का सबब है.
सुंदर प्रस्तुति.

अजय कुमार झा said...

सभी एक से बढकर एक हैं , कमाल और बेमिसाल

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

वाह !!!!! शानदार पंक्तियाँ भाव पूर्ण अभिव्यक्ति बधाई स्वीकारें !!

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Unknown said...

behatreen.... रात उसके कुर्ते के कोने में जा अटकी थी मेरी नींद बेमुरब्‍वत
अलवि‍दा कहे बि‍ना जो शख्‍स यहां से चुपचाप नि‍कल गया था.....vakayee me need ki esse behatareen jagah aur kya ho shti hai

Unknown said...

behatreen.... रात उसके कुर्ते के कोने में जा अटकी थी मेरी नींद बेमुरब्‍वत
अलवि‍दा कहे बि‍ना जो शख्‍स यहां से चुपचाप नि‍कल गया था.....vakayee me need ki esse behatareen jagah aur kya ho shti hai

Siddharth Shandilya said...

Rashmi ji maine socha tha aapki taareef aapke ashaar me se kisi ek sher se hi karoonga magar saara padhkar behtareen intekhab karna meri aukaat ke bahar tha.. Bina kisi tamheed ke badhai qubool farmaayen.

Siddharth