Thursday, December 6, 2012
ऐ मेरी हसरतें......
कुछ हसरतें हैं, आधी-अधूरी
थोड़ी कच्ची,थोड़ी हरी सी
जिन्हें प्रतिदिन
घर के सबसे अंधेरे कमरे के
सीलन भरे कोने में जाकर
तब निकालती हूं
जब सारा घर
सपनों की चादर ओढ़े
आधी रात का सफर
तय कर चुका होता है....
तब मैं तहों में दबाई हसरतों को
अपने ख्वाबों के बक्से से
हौले से निकालती हूं
सहलाती हूं...दुलराती हूं
और खिड़की की झिर्रियों से
छनकर आ रही
उम्मीद की रौशनी से
नहलाती हूं
थोड़ा संयम की लौ
जलाती हूं....
कहती हूं..ऐ मेरी हसरतें
मिटना नहीं, हारना नहीं
उदास भी मत होना
एक दिन तो ऐसा आएगा
जब तुम्हें पूरा करूंगी
और तुम्हें पूरा होना ही होगा
मुझ पर यकीन रखों मेरी हसरतें
इसी जिंदगी में पूरा करूंगी तुम्हें
बस...मेरे यकीन पर यकीन करना तुम.....
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12 comments:
मुझ पर यकीन रखों मेरी हसरतें
इसी जिंदगी में पूरा करूंगी तुम्हें
बस...मेरे यकीन पर यकीन करना तुम...
....यही विश्वास तो हसरतों को जीवित रखता है..बहुत सुन्दर
बस इसी जज्बे की जरुरत होती है .जरुर पूरी होंगी हसरतें बधाई
सयम ही सब कुछ है ...
देर सवेर हसरतें सबकी पूरी होती है बशर्ते कोशिस और हिम्मत होनी चाहिए।
उम्दा पोस्ट ..
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post.html
बेहतर प्रस्तुति !!
बेहतर प्रस्तुति !!
बस...मेरे यकीन पर यकीन करना तुम...
बहुत सुंदर रचना ....
recent post: बात न करो,
बहुत खूब
Gyan Darpan
हसरते भी इन्तजार करती है मुकम्मल होने को !
बहुत ही शानदार रचना
अरुन शर्मा
www.arunsblog.in
hashrate hi jindgi ke maksd ko aage badhati hai,sundar prastuti
बहुत ही मुलायम संवेदनाएं जो दिल को और मुलायम कर जाती हैं और आँखों को नम
बहुत अच्छी कविता. उम्मीद ना छोड़नी चाहिए कभी. जैसा कि साहिर ने पहले कहा है-
रात भर का है मेहमाँ अँधेरा
किसके रोके रुका है सवेरा
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