Tuesday, December 4, 2012

बेटि‍यां......

चि‍ड़ि‍यों की झुंड सी चहचहाती हैं बेटि‍यां
पगड़डि‍यों पर नीले-पीले आंचल उड़ाती हैं बेटि‍यां


आंगन की तुलसी बन घर को महकाती हैं बेटि‍यां
हंसी-ठि‍ठोली कर सबका मन बहलाती हैं बेटि‍यां

पायल की रूनझुन सी गुनगुनाती हैं बेटि‍यां
पानी सी निर्मल-स्‍वच्‍छ नजर आती हैं बेटि‍यां

क्‍यों देखते हैं दोयम नि‍गाहों से इन्‍हें जमाने वाले
कि‍सी भी मकान को घर बनाती हैं बेटि‍यां

18 comments:

Unknown said...

लड़कियां महकाती हैं, घर-आँगन सब एक-सा ।
चंचल मन रिझाता सबको, हृदय होता नेक-सा ।।

आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (05-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
सूचनार्थ |

Shalini kaushik said...

क्‍यों देखते हैं दोयम नि‍गाहों से इन्‍हें जमाने वाले
कि‍सी भी मकान को घर बनाती हैं लड़कि‍यां

बहुत सुन्दर व् सार्थक भावाभिव्यक्ति .बधाई
दहेज़ :इकलौती पुत्री की आग की सेज

Shikha Kaushik said...

rashmi ji ye panktiyan to dil ko chhoo hi gayi -
क्‍यों देखते हैं दोयम नि‍गाहों से इन्‍हें जमाने वाले
कि‍सी भी मकान को घर बनाती हैं लड़कि‍यां
bahut bahut sundar bhavabhivyakti .badhai .
भारतीय नारी

हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

Anonymous said...

बेहतर लेखन !!

मेरा मन पंछी सा said...

सुन्दर रचना....
:-)

रविकर said...

शुभकामनाएं आदरेया-
बढ़िया प्रस्तुती ||

पूरण खण्डेलवाल said...

बेटियों पर सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति !!

Amit Chandra said...

खुबसुरत सोच, खुबसुरत रचना.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत खूबशूरत सुंदर प्रस्तुति,,,,

recent post: बात न करो,

Arun sathi said...

साधू-साधू
अतिसुन्दर

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

आन बान और शान है बेटी
ईश्वर का वरदान है बेटी ||

जयकृष्ण राय तुषार said...

बहुत ही सुन्दर कविता |

Asha Lata Saxena said...

बेटियाँ करती घर रौशन
घर में रौनक उनसे
हर अदा दिल को छू जाती
सूना सा लगता बिन उनके |
बहुत सुन्दर रचना है रश्मी जी |

कविता रावत said...

सच बेटियों के बिना घर आँगन सूना होता है ...
बहुत बढ़िया प्रेरक रचना

लोकेन्द्र सिंह said...

बहुत बढ़िया रचना...
बेटियां वरदान हैं

अरुन अनन्त said...

बहुत ही सुन्दरता के बेटियों के गुणों का वर्णन किया है आपने लाजवाब प्रस्तुति
अरुन शर्मा
www.arunsblog.in

Pallavi saxena said...

सटीक बात कहती सुंदर एवं सार्थक प्रस्तुति....

कुमार पंकज said...

बेटियों के बिना घर आँगन सूना होता है ...खुबसुरत सोच......