Saturday, December 15, 2012

क्षणि‍काएं....

1.सहूलि‍यत के हिसाब से रिश्ता निभाते हैं लोग
जब फुरसत होती है तभी बतियाते हैं लोग
जताते हैं उन सा अपना नहीं है कोई दूजा
किस्तों में ऐसे दुनियादारी निभाते हैं लोग.



2.न मि‍लो रोज हमसे, न बाटों हर गम व खुशी
न करो वादा अंति‍म सांस तक नि‍भाने का
है गुजारि‍श इतनी, जब तक रहो..पूरो रहो
ताकि जब जाओ, गम न हो यूं ही चले जाने का.


3.बन के दोस्‍त दि‍ल में उतर जाते हो
फि‍र अपनी दोस्‍ती को ही आजमाते हो
सुनो...रि‍श्‍ते की डोर बड़ी नाजुक होती है
कि‍सी और की बातों में क्‍यों आ जाते हो.


4.एक हम हैं कि‍ इस डर से पलक भी नहीं झपकते
कि कहीं आंखों से ओझल न वो हो जाएं..
एक वो हैं कि हमसे नजरें बचाकर
पल भर में सारी दुनि‍या के नजारे देख आएं.

14 comments:

Onkar said...

बहुत सुन्दर

Kailash Sharma said...

सहूलि‍यत के हिसाब से रिश्ता निभाते हैं लोग
जब फुरसत होती है तभी बतियाते हैं लोग
जताते हैं उन सा अपना नहीं है कोई दूजा
किस्तों में ऐसे दुनियादारी निभाते हैं लोग.

...वाह! बहुत सुन्दर और सटीक...सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर...आभार

Unknown said...

बहुत सुन्दर ******^^^^^^*****एक हम हैं कि‍ इस डर से पलक भी नहीं झपकते
कि कहीं आंखों से ओझल न वो हो जाएं..
एक वो हैं कि हमसे नजरें बचाकर
पल भर में सारी दुनि‍या के नजारे देख आएं. New Posts:kyon chal diye tum, and Chehra -chal

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

.वाह वाह,,बहुत सुन्दर और सटीक क्षणिकाएं,,,,

recent post हमको रखवालो ने लूटा

Amit Chandra said...

बेहद उम्दा. पहला वाला ज्यादा अच्छा लगा.

मेरा मन पंछी सा said...

उत्कृष्ट क्षणिकाएं,,
अति उत्तम...
:-)

poonam said...

bahut khub, saty vachan

Yashwant R. B. Mathur said...


दिनांक 17/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

प्यारी-प्यारी क्षणिकाएँ..

प्रेम सरोवर said...

आपका पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।

जयकृष्ण राय तुषार said...

सुन्दर क्षणिकाएं |ब्लॉग पर आने हेतु आभार |

Rohitas Ghorela said...

सारी क्षणिकाएँ बहुत अच्छी है ... इस क्षणिका की जितनी तारीफ की जाये उतनी कम है।

"न मि‍लो रोज हमसे, न बाटों हर गम व खुशी
न करो वादा अंति‍म सांस तक नि‍भाने का
है गुजारि‍श इतनी, जब तक रहो..पूरो रहो
ताकि जब जाओ, गम न हो यूं ही चले जाने का."

मेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है : नम मौसम, भीगी जमीं ..

राजेश सोनी राज said...

Prakruti ka sundar chitran aapki kavitao main , jyo bheesan garmi main sheetalta .

Adbhudh , apratim , abhinav prayash .

Shubhkamnaye......

Aapki rachna naiduniya main bhi padhi .

Rajesh Soni " Raj"
rajeshsoniraj.blogspot.com

वीना श्रीवास्तव said...

बहुत बढ़िया...