Thursday, December 13, 2012

सुनो....

कहते हो
बार-बार
सुनो....
और कुछ कहते नहीं
एक चुप्‍पी सी पसरी है
हमारे दरमि‍यां
जाने कि‍तने बरस से...
मेरा कहा
तुम्‍हें समझ नहीं आता
और अनकहा
इतना मुखर होता है
कि
तुम वो भी सुन लेते हो
जो नहीं सुनना चाहि‍ए
अब कहो
तुम्‍हारी भावनाओं का क्‍या करूं मैं
मानूं
तो तुफान आ जाएगा
न मानूं
तो तुम रूठ जाओगे
और बरस बाद फि‍र से पुकारोगे
सुनो....सुनो...

12 comments:

अरुन अनन्त said...

एक प्रवाह में सजी सुन्दर प्रस्तुति
RECENT POST चाह है उसकी मुझे पागल बनाये
मानूं
तो तुफान आ जाएगा
न मानूं
तो तुम रूठ जाओगे
और बरस बाद फि‍र से पुकारोगे
सुनो....सुनो...

Anupama Tripathi said...

सुंदर अभिव्यक्ति ....
शुभकामनायें ...

Anonymous said...

बेहतर लेखनी !!!

Kailash Sharma said...

वाह! अंतस के बहकान की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...

Aditya Tikku said...

sunder- utam-***

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

प्रवाहमयी बढिया रचना, बधाई।,,रश्मी जी,,

recent post हमको रखवालो ने लूटा

Sunil Kumar said...

और अनकहा
इतना मुखर होता है
बहुत अच्छी भावाव्यक्ति , बधाई

Rohitas Ghorela said...

तुम्‍हारी भावनाओं का क्‍या करूं मैं
मानूं
तो तुफान आ जाएगा
न मानूं
तो तुम रूठ जाओगे
और बरस बाद फि‍र से पुकारोगे
सुनो....सुनो...

बहकती भावनाएं ...वाह
 बेतुकी खुशियाँ

Unknown said...

अच्छी भावाव्यक्ति उत्कृष्ट रचना,"तो तुम रूठ जाओगे
और बरस बाद फि‍र से पुकारोगे
सुनो....सुनो...

Pallavi saxena said...

सुंदर भाव संयोजन के साथ भावपूर्ण अभिव्यक्ति....

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया


सादर

वीना श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर...सभी रचनाएं लाजवाब....
मेरी एक योजना है...आप शामिल होना चाहेंगी...

veena.rajshiv@gmail.com