कहते हो
बार-बार
सुनो....
और कुछ कहते नहीं
एक चुप्पी सी पसरी है
हमारे दरमियां
जाने कितने बरस से...
मेरा कहा
तुम्हें समझ नहीं आता
और अनकहा
इतना मुखर होता है
कि
तुम वो भी सुन लेते हो
जो नहीं सुनना चाहिए
अब कहो
तुम्हारी भावनाओं का क्या करूं मैं
मानूं
तो तुफान आ जाएगा
न मानूं
तो तुम रूठ जाओगे
और बरस बाद फिर से पुकारोगे
सुनो....सुनो...
12 comments:
एक प्रवाह में सजी सुन्दर प्रस्तुति
RECENT POST चाह है उसकी मुझे पागल बनाये
मानूं
तो तुफान आ जाएगा
न मानूं
तो तुम रूठ जाओगे
और बरस बाद फिर से पुकारोगे
सुनो....सुनो...
सुंदर अभिव्यक्ति ....
शुभकामनायें ...
बेहतर लेखनी !!!
वाह! अंतस के बहकान की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...
sunder- utam-***
प्रवाहमयी बढिया रचना, बधाई।,,रश्मी जी,,
recent post हमको रखवालो ने लूटा
और अनकहा
इतना मुखर होता है
बहुत अच्छी भावाव्यक्ति , बधाई
तुम्हारी भावनाओं का क्या करूं मैं
मानूं
तो तुफान आ जाएगा
न मानूं
तो तुम रूठ जाओगे
और बरस बाद फिर से पुकारोगे
सुनो....सुनो...
बहकती भावनाएं ...वाह
बेतुकी खुशियाँ
अच्छी भावाव्यक्ति उत्कृष्ट रचना,"तो तुम रूठ जाओगे
और बरस बाद फिर से पुकारोगे
सुनो....सुनो...
सुंदर भाव संयोजन के साथ भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
बहुत ही बढ़िया
सादर
बहुत सुंदर...सभी रचनाएं लाजवाब....
मेरी एक योजना है...आप शामिल होना चाहेंगी...
veena.rajshiv@gmail.com
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