Sunday, October 7, 2012

आंसू के दो रंग...

1.बरसेंगे जो बादल आंसू छुपा लेंगे
तुमको न कभी ये अपना पता देंगे...
क्‍यों ढूंढते हो उदासी इस चेहरे पर
हम इस चेहरे पर नया चेहरा लगा देंगे....



2.बेशकीमती होते हैं आंसू
बेवजह यूं इन्‍हें आंखों से ढलकाया न करो
कोई याद जब मजबूर करे रोने के लि‍ए
सजा लो मुस्‍कान होंठों पे आंसू नुमाया न करो

7 comments:

  1. वाह उम्दा लाजवाब प्रस्तुति

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  2. 1.बरसेंगे जो बादल आंसू छुपा लेंगे
    तुमको न कभी ये अपना पता देंगे...

    बहुत खूब

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  3. बहुत खूब रश्मी जी,,,,

    नयनों के ये नीर तीर से बच के रहना
    वरना फिर पछताओगे,रुलायेगें ये नैना,,,,

    RECENT POST: तेरी फितरत के लोग,

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  4. बहुत अच्छी रचना
    बहुत सुंदर
    क्या बात

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  5. वाह! ज़बरदस्त बात कह दी आपने!

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  6. बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट।

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  7. आपके लिखे दोनों काव्यांश बहुत सुन्दर लगे , लेकिन सबसे सुन्दर वो तस्वीर है , जिसका आपने यहाँ प्रयोग किया है |

    सादर

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